लोकसभा में पारित हो चुके लोकपाल विधेयक पर गुरुवार को राज्यसभा में जारी चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष व विपक्ष ने जमकर अपने-अपने तर्क पेश किए। विपक्ष ने विधेयक को 'संवैधानिक रूप से कमजोर' बताया। वहीं, सरकार ने मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह विधेयक को पारित न कराने के लिए बहाने बना रही है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि विधेयक कमजोर है लेकिन सदन को एक प्रभावी लोकपाल विधेयक पारित किए बगैर अपने कदम पीछे नहीं खींचने चाहिए।
वहीं, जेटली के सवालों का जवाब सत्ता पक्ष की ओर से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने दिया। सिंघवी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह विधेयक को पारित न कराने के लिए बहानेबाजी कर रही है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि केंद्री जांच ब्यूरो (सीबीआई) सरकार के अधीन नहीं रहनी चाहिए। जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने पेश विधेयक को कमजोर बताया।
केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त संस्था के गठन का प्रारूप देने वाले विधेयक पर चर्चा के बाद मत विभाजन होगा।
ज्ञात हो कि 243 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस और उसके सहयोगियों की संख्या 92 है, जबकि विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को 122 सदस्यों का समर्थन चाहिए। सरकार को उम्मीद है कि विधेयक पारित करने में बसपा और सपा उसका सहयोग करेंगी।
चर्चा के दौरान जेटली ने कहा कि यह विधेयक 'संवैधानिक तबाही' लाएगा। उन्होंने विधेयक में अल्पसंख्यक कोटे की व्यवस्था करने और लोकपाल के दायरे से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को बाहर रखने पर आपत्ति उठाई।
जेटली ने सरकार से कहा कि यदि वह विधेयक को उच्च सदन में पारित कराना चाहती है तो उसे भाजपा के संशोधनों को स्वीकार कर लेना चाहिए।
जेटली ने विधेयक के प्रत्येक भाग पर सवाल किए और कहा कि सरकार ने ऐसा लोकपाल बनाया है जो संवैधानिक कसौटियों के लिहाज से कमजोर है। उन्होंने कहा कि विधेयक का वह प्रावधान जो राज्यों को केंद्र सरकार के आदर्श पर लोकायुक्तों की नियुक्ति अनिवार्य बनाता है, स्पष्ट नहीं है और इससे केंद्र और राज्य के अधिकार एक-दूसरे से टकराएंगे।
वहीं, सिंघवी ने जेटली के आरोपों को खारिज किया और पूछा कि मूलभूत सवाल यह है कि आप लोकपाल विधेयक पास करवाना चाहते हैं या नहीं?
सदन में सरकार का पक्ष रखते हुए सिंघवी ने भाजपा का इस मुद्दे पर रुख स्पष्ट नहीं होने का भी आरोप लगाया।
सिंघवी ने कहा, "भाजपा नाजुक स्थिति में विधेयक में रोड़ा अटका रही है और वह कह रही है कि वह मजबूत और समग्र विधेयक चाहती है। वह इस स्थिति को विधेयक को पास नहीं कराने के लिए बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रही है।" उन्होंने कहा, "यदि आप विधेयक पास नहीं करवाना चाहते हैं तो ऐसा कीजिए और बहाने छोड़ने का हिम्मत दिखाइए।"
कांग्रेस नेता ने कहा, "सीबीआई 70 साल पुरानी संस्था है। क्या लोकपाल के आ जाने से प्रत्येक संस्था स्वत: नष्ट हो जाएगी?"
सिंघवी ने कहा कि भाजपा अकल्पनीय अनुपात वाला एक विशालकाय सत्ता बनानी चाहती है जिसके सामने प्रधानमंत्री कार्यालय 'बौना' जैसा दिखे। उन्होंने कहा, "आप एक लोकपाल चाहते हैं और आप चाहते हैं कि उसके दायरे में सीवीसी, सीबीआई, सिटिजन चार्टर को लाया जाए। आप यह भी चाहते हैं कि लोकपाल के पास स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति हो। प्राथमिक जांच लोकपाल करे, उसके बाद की जांच भी लोकपाल करे और मुकदमा चलाने की जिम्मेदारी भी उसी के पास हो। आपने यह नहीं कहा कि फैसला भी लोकपाल को सुनाना चाहिए।"
This Article is From Dec 29, 2011
राज्यसभा में लोकपाल पर हुई तीखी बहस
नई दिल्ली: