प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के प्रयासों के तहत सरकारी कर्मचारियों के ‘संदिग्ध’ बैंकिंग लेन देन की जांच शुरू की है। यह अपनी तरह की पहली पहल है जो कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के वी चौधरी की अगुवाई में की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल ही सीवीसी को उन सरकारी एजेंसियों में शामिल किया गया था जिन्हें संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के बारे में वित्तीय सूचना इकाई (एफआईयू) से ब्योरा मांगने का अधिकार है। एफआईयू संदिग्ध वित्तीय लेन देन से जुड़ी जानकारी जुटाती है, उसका विश्लेषण व वितरण करती है।
चौधरी ने कहा, ‘सीवीसी को एफआईयू से सरकारी कर्मचारियों से जुड़े संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) प्राप्त करने वाली एजेंसी के रूप में अधिसूचित किया गया है। यह हो चुका है और सीवीसी को जानकारी मिल रही है।’ एसटीआर के दायरे में 10 लाख रुपये व इससे अधिक राशि वाले वे लेन देन आते हैं जिनके बारे में संदेह हो कि उनमें अपराध का पैसा या कालाधन लगा है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीवीसी एफआईयू से मिली सूचनाओं की पड़ताल कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य भ्रष्ट तरीकों से कमाए गए धन पर रोक लगाना तथा कालेधन को बैंकिंग प्रणाली में आने से रोकना है।
उल्लेखनीय है कि सीवीसी अनेक कंपनियों से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर रहा है जिनमें मोंडलीज जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। अमेरिकी खुदरा कंपनी वॉलमार्ट भी आयोग के जांच दायरे में रही है क्योंकि आरोप हैं कि उसने भारत में स्टोर खोलने की अनुमति आदि पाने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उल्लेखनीय है कि पिछले साल ही सीवीसी को उन सरकारी एजेंसियों में शामिल किया गया था जिन्हें संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के बारे में वित्तीय सूचना इकाई (एफआईयू) से ब्योरा मांगने का अधिकार है। एफआईयू संदिग्ध वित्तीय लेन देन से जुड़ी जानकारी जुटाती है, उसका विश्लेषण व वितरण करती है।
चौधरी ने कहा, ‘सीवीसी को एफआईयू से सरकारी कर्मचारियों से जुड़े संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) प्राप्त करने वाली एजेंसी के रूप में अधिसूचित किया गया है। यह हो चुका है और सीवीसी को जानकारी मिल रही है।’ एसटीआर के दायरे में 10 लाख रुपये व इससे अधिक राशि वाले वे लेन देन आते हैं जिनके बारे में संदेह हो कि उनमें अपराध का पैसा या कालाधन लगा है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीवीसी एफआईयू से मिली सूचनाओं की पड़ताल कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य भ्रष्ट तरीकों से कमाए गए धन पर रोक लगाना तथा कालेधन को बैंकिंग प्रणाली में आने से रोकना है।
उल्लेखनीय है कि सीवीसी अनेक कंपनियों से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर रहा है जिनमें मोंडलीज जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। अमेरिकी खुदरा कंपनी वॉलमार्ट भी आयोग के जांच दायरे में रही है क्योंकि आरोप हैं कि उसने भारत में स्टोर खोलने की अनुमति आदि पाने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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