नीति आयोग की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिंधुश्री खुल्लर और लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उपक्रमों के मंत्रालय के पूर्व सचिव अनूप के. पुजारी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने कुछ सेवारत और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों को भष्टाचार से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार करने की मंजूरी मांगी है. इन अधिकारियों में नीति आयोग की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिंधुश्री खुल्लर और अनूप के. पुजारी भी शामिल हैं. यह मामला आईएनएक्स मीडिया में 305 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड द्वारा मंजूरी देने में अनियमितता से संबंधित है. अधिकारियों की इस सूची में हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना और केंद्र में आर्थिक मामलों के विभाग के पूर्व अवर सचिव रबींद्र प्रसाद का नाम शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा कि सीवीसी ने वित्त और कार्मिक मंत्रालय से इन अधिकारियों को गिरफ्तार करने की अनुमति देने की मांग की है.
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इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी दोनों कर रहे हैं. इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम भी आरोपी हैं. जांच एजेंसियों का दावा है कि जांच पड़ताल में इस मामले में इन अधिकारियों (जिनमें अब कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं) की भूमिका दिखी है. इसलिए इन अधिकरियों की गिरफ्तारी की अनुमति मांगी गयी है. सिंधुश्री खुल्लर 2004-08 तक आर्थिक मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव थीं और उन्हें 2015 में नीति आयोग का मुख्य कार्यपालक अधिकारी नियुक्त किया गया था. वहीं, पुजारी 2006-10 तक संयुक्त सचिव और सक्सेना इसी विभाग में 2008-10 तक निदेशक थे. प्रसाद भी इसी दौरान संबंधित विभाग में थे. बता दें कि सीबीआई ने आईएनएक्स इस मामले में 15 मई 2017 को प्राथमिकी दायर की थी. एफआईपीबी से विदेशी निवेश पूंजी निवेश की मंजूरी का यह मामला 2007 का है. उस समय पी चिंदंबरम वित्त मंत्री थे. (इनपुट-भाषा)
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