इस साल अचानक हुई बारिश और ओलों ने लाखों एकड़ हेक्टेयर में फसल बरबाद की है। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में अच्छी किस्म के गेहूं की पैदावार पर इसका असर काफ़ी ज़्यादा है। इस अंदेशे के बीच कारोबारियों ने ऑस्ट्रेलिया से 70,000 से 80,000 टन तक प्राइम गेहूं आयात करने का करार किया है।
पिछले पांच साल में इतना गेहूं कभी आयात नहीं किया गया। उम्मीद है कि अप्रैल-मई महीने में ये गेहूं भारत आ जाएगा। गेहूं की खपत में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। आने वाले समय में अगर भारतीय कारोबारी बाहर से और ज़्यादा गेहूं के आयात का करार करते हैं तो इसका असर अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर भी पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के फूड कमिशनर एन सी सक्सेना ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'ओला वृष्टि से नुकसान हुआ है। इसकी वजह से अनाज का उत्पादन 5 फीसदी से 8 फीसदी तक घट सकता है। लेकिन अभी घबराने की ज़रूरत नहीं है। देश में ज़रूरत से ज़्यादा अनाज उपलब्ध है। भारत में बफर नॉर्म 21 से 23 मिलियन टन का है जबकि आज केन्द्र और राज्यों के भंडारों में कुल 36 मिलियन टन अनाज जमा है।'
यानी बफर स्टॉक से 50 फ़ीसदी ज़्यादा अनाज है। जानकारों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाला गेहूं बाज़ार में पहुंचने से हाई-एन्ड गेहूं की उपलब्धता बढ़ेगी और अच्छे गेहूं के दाम नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
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