कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के बीच भारत दूसरे देशों की मदद के लिए आगे आया है और कई देशों को कोविशील्ड (Covishield) की लाखों खुराक मुफ्त भेजना शुरू किया है. इस लिस्ट में 13 देश- बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, बहरीन, ब्राजील, मॉरीशस, मोरक्को, ओमान, सेशेल्स और श्रीलंका- शामिल हैं. इस कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि अच्छी हो रही है. हालांकि, इसके बीच एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि सरकार निजी बाजारों में वैक्सीन की बिक्री को अनुमति क्यों नहीं दे रही है.
किरण मजूमदार शॉ जैसे कई दिग्गज स्वास्थ्य एवं फार्मा विशेषज्ञों ने सरकार से दवा पेश करने के लिए निजी कंपनियों को अनुमति देने की अपील की है, क्योंकि भारत में क्षमता की कोई कमी नहीं है और सरकार के सभी टारगेट को पूरा किया जा रहा है.
किरण मजूमदार शॉ ने ट्वीट में कहा, "जब तक प्राइवेट अस्पताल आम लोगों को वैक्सीन देना शुरू नहीं करते हैं, हमें दो मिलियन लोगों को वैक्सीन देने की जरूरत है. वैक्सीन उत्पादन के साथ तालमेल बैठाने हमें दिक्कत का सामना करना होगा, जो कि पहले से ही अधिक है. अन्य देशों की तरह हमारे यहां आपूर्ति की समस्या नहीं है."
फिलहाल, सरकार कोरोना वैक्सीन के सार्वजनिक रूप से जारी करने को अनुमति देने के लिए इच्छुक नहीं दिख रही है.
नीति आयोग के वी.के पॉल ने स्पष्ट किया, "वैक्सीन के मामले में प्राथमिकता जरूरी है और सभी देश इसका पालन कर रहे हैं. सामाजिक दायित्व की भावना, सार्वजनिक स्वास्थ्य की भावना को देखते हुए... अगर आप स्वस्थ हैं और 50 साल से कम उम्र के हैं, तो आपको इंतजार करना चाहिए और उन लोगों को मौका देना चाहिए, जिन्हें इसकी ज्यादा जरूरत है."
इस महीने शुरू हुए टीकाकरण अभियान के पहले घोषित प्राथमिकता सूची पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "पहले 7-8 महीने, हम 30 करोड़ लोगों को ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिनके बारे में हम पहले भी कई बार बात कर चुके हैं और हम जानते हैं कि वे कौन हैं, जो जरूरतमंद हैं."
वर्तमान में एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन दी जा रही है. बाकी 27 करोड़ लोगों में 50 साल के अधिक उम्र के लोग और बीमारी की चपेट में आए लोग शामिल हैं.
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