हर रोज कोविड-19 के कितने नए केस आ रहे हैं?
कोरोना के नए केसों में आई वृद्धि का सिलसिला अब थम रहा है. इसमें गिरावट का प्रतिशत बढ़ा है. कोरोना महामारी के कर्व के 'फ्लैट' होने से इसकी पुष्टि होती है. कोरोना केसों की वृद्धि दर में गिरावट अब तक ट्रेंड बनता जा रहा है. कुछ सप्ताह पहले प्रतिशत 3.7 था जो इस समय गिरते हुए 2.3 तक आ गया है यानी कोरोना के रोजाना आ रहे नए केसों की रफ्तार में कमी आई है. हालांकि यह बात भी काबिलेगौर है कि वृद्धि की यह दर भी इससमय दुनिया में सबसे अधिक है. ऐसे में इस ट्रेंड को आगे भी जारी रखने की जरूरत है, इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन जरूरी है.
नए कोरोना केसों में इजाफे की यह दर बनी रही तो मध्य सितंबर तक भारत कोरोना केसों की कुल संख्या में ब्राजील को पीछे छोड़ देगा और अक्टूबर माह की शुरुआत तक अमेरिका को भी यह पछाड़ सकता है. यह कोरोना केसों में गिरावट का यह प्रतिशत बरकरार रहा और पहले से ज्यादा मजबूत हुआ तो ऐसी नौबत आने से बचा जा सकता है.
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टेस्ट की संख्या में वृद्धि हो रही है?
कोरोना के केसों के कम होने की पहले वजह यह थी कि हम कम कोरोना टेस्ट कर रहे थे. अब देशभर में कोरोना के टेस्ट की संख्या में तेजी लाई गई है. जुलाई माह के अंत तक टेस्ट की संख्या 4.2 लाख की थी तो अब बढ़कर 9 लाख टेस्ट रोजाना तक पहुंच गए हैं.
हालांकि यहां एक समस्या है. टेस्ट की संख्या में हुई इस जबर्दस्त वृद्धि का एक कारण यह है कि अधिकतर राज्य रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT's) का ज्यादा सहारा ले रहे हैं. एंटीजन टेस्ट वैसे तो सस्ता है लेकिन यह परंपरागत RT-PCR टेस्ट की तुलना में कम विश्वसनीय माना जा रहा है.
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भारत में मृत्यु की 'निचली' दर
भारत में कोरोना से मौतों का प्रतिशत दूसरे देशों की तुलना में लगातार नीचे बना हुआ है. जहां इस मामलों में विश्व औसत 3.5 से चार प्रतिशत तक है. कुछ देशों में तो कोरोना से मौतों का प्रतिशत इससे भी बहुत ज्यादा है जैसे-इटली का 14 और स्पेन का 10 प्रतिशत.
भारत में कोरोना मृत्यु दर ज्यादातर देशों से लगातार नीचे है. पिछले तीन-चार सप्ताह में ये यह घटते हुए 2.4 फीसदी से 1.9 फीसदी तक आ गई है. कई लोग मानते हैं कि भारत में युवा लोगों की ज्यादा संख्या के कारण मृत्यु दर कम है.
कोराना का R फैक्टर
R' रेट यानी कि रि-प्रोडक्शन रेट. सरल शब्दों में कहें तो एक संक्रमित व्यक्ति से कितने लोग संक्रमित हो रहे हैं. यदि .'R' रेट 2.0 है तो यह दर्शाता है कि कोविड-19 से संक्रमित एक व्यक्ति औसत के रूप में अन्य दो लोगों को संक्रमित करेगा. ये दो लोगों में से प्रत्येक दो-दो अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे. इस तरह संक्रमण बढ़ते हुए सोसाइटी में महामारी का रूप ले लेगा.यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि 'R' रेट कम से कम हो. भारत में इस मामले में स्थिति में सुधार हो रहा है. यह 1.19 से कम होकर 1.05 तक आ गया. भारत को आर फैक्टर 1.0 या इससे भी नीचे लाने का टारगेट सेट करना होगा. यूके यानी यूनाइटेड किंगडम में कुछ माह पहले भारत के ज्यादा केस थे लेकिन आर फैक्टर 1.0 के ही नीचे था.
पॉजिटिविटी रेट
पॉजिटिविटी रेट में आई गिरावट को कोरोना के खिलाफ जंग के लिहाज से अच्छा संकेत माना जाता है.हालांकि भारत में कोरोना टेस्ट की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि के कारण पॉजिटिविटी रेट का महत्व कुछ कम हो गया है. 18 अगस्त को 7.7 प्रतिशत था.
(सभी ग्राफ्स 23-25 जुलाई से 18 अगस्त तक की अवधि के हैं.)
नोट:एंटीजन टेस्ट महत्वपूर्ण हैं लेकिन पीसीटी टेस्ट की तुलना में इनकी अलग भूमिका होती है. परिणाम की गति और कम लागत के नाते एंटीजन टेस्ट का काम कोरोना के पॉजिटिव मामलों की पहचान करना है. दोनों टेस्ट की मैथेडोलॉजी एक दूसरे से अलग है. इस लिहाज से एंटीजन टेस्ट और पीसीआर टेस्ट के परिणामों को समग्र पॉजिटिविटी रेट से मिलाकर नहीं देखा जाना चाहिए.
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