यह ख़बर 01 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

ज़ी के दोनों संपादकों की जमानत याचिका पर सुनवाई अब 3 दिसंबर को

खास बातें

  • ज़ी समूह के संपादकों की जमानत याचिका पर सुनवाई दिल्ली की एक अदालत ने 3 दिसंबर के लिए टाल दी है। अदालत में अभियोजक और जांच अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण शनिवार को सुनवाई नहीं हो सकी।
नई दिल्ली:

ज़ी समूह के संपादकों की जमानत याचिका पर सुनवाई दिल्ली की एक अदालत ने 3 दिसंबर के लिए टाल दी है। अदालत में अभियोजक और जांच अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण शनिवार को सुनवाई नहीं हो सकी।

इन संपादकों पर कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल की कंपनी से सौ करोड़ रुपये की उगाही करने के प्रयास का आरोप है। दोनों की अनुपस्थिति से क्षुब्ध मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गौरव राव ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को इस चूक का जवाब देने का आदेश दिया है।

ज़ी न्यूज के प्रमुख सुधीर चौधरी और ज़ी बिजनेस के संपादक समीर अहलूवालिया की जमानत याचिकाओं पर राव ने कहा, इस अदालत से पूर्व में सूचना दिए जाने के बावजूद जांच अधिकारी और लोक अभियोजक क्यों नहीं उपस्थित हुए? जमानत पर सुनवाई अब 3 दिसंबर को होगी।

जेल में बंद संपादकों की जमानत याचिका दो बार खारिज हो चुकी है और शुक्रवार को उन्होंने फिर से जमानत याचिका लगाई। समझा जाता है कि पुलिस शनिवार को अपना जवाब दायर कर मामले पर अपना विचार रखती। बहरहाल पूर्व में सूचना दिए जाने के बावजूद आईओ और पीपी के नहीं आने से अदालत ने मामले पर सुनवाई टाल दी।

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दोनों संपादकों को शुक्रवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में 14 दिसंबर तक जेल भेज दिया गया। आईओ और पीपी को छोड़कर बचाव पक्ष के वकील रेबेका जॉन और जिंदल स्टील एवं पावर लिमिटेड के प्रतिनिधि वकील रमेश गुप्ता मौजूद थे।