मुंबई:
अदालत का वक्त जाया करने पर टाटा कैंसर अस्पताल में रुपये भरने का आदेश! जी हां ...ये अनोखी पहल बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुरू की है। बॉम्बे हाई कोर्ट का ये फैसला टाटा अस्पताल के गरीब कैंसर मरीजों के लिये मददगार बनकर आया है।
दरअसल ये पूरा मामला कम गंभीर वाले अपराधों में अदालत के बाहर आपस में समझौता करने से जुड़ा है जिनसे अदालत का वक्त जाया करने के लिये दंड वसूला जाता है। बॉम्बे हाई कोर्ट की वकील ताहेरा कुरेशी के मुताबिक पहले ये दंड कोर्ट की लाईब्रेरी या दूसरी मद में जाता था। लेकिन पिछले साल से अदालत ने मानव सेवा करने वाले ट्रस्ट खास कर टाटा कैंसर अस्पताल में दंड जमा करने का आदेश देना शुरू किया है।
धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी को भी कोर्ट ने अदालत के बाहर समझौता करने के लिये 10 हजार रुपये का दंड टाटा कैंसर अस्पताल में जमा करने का आदेश दिया था। इस नये चलन के बाद से अब तक 50 के करीब लोग टाटा कैंसर अस्पताल में 4 लाख 52 हजार रुपये के करीब जमा कर चुके हैं।
टाटा अस्पताल की प्रवक्ता स्वाती म्हात्रे का कहना है कि पहले हमें ये पता नहीं था। अगस्त 2014 मे जब एक शख्स पैसा भरने आया तो हमने उसे दान दाता समझ कर ही फार्म भरवाया। लेकिन जब हमें पता चला कि कोर्ट के आदेश से दंड की रकम भरने वो आया है तो हैरानी हुई और गर्व भी महसूस हुआ कि अदालत ने भी हमारी सेवा की तस्दीक की है।
लाईलाज बिमारी कैंसर के इलाज के लिये टाटा कैंसर अस्पताल में सालाना तकरीबन 50 हजार के करीब मरीज आते हैं। जिनमे से 60 फीसदी गरीब होते हैं और उनका इलाज रियायती दर पर किया जाता है। ये टाटा पर भरोसा ही है जो यहां सिर्फ देश भर से नहीं विदेशों से भी मरीज इलाज करवाने आते हैं। अब तो बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी है।
दरअसल ये पूरा मामला कम गंभीर वाले अपराधों में अदालत के बाहर आपस में समझौता करने से जुड़ा है जिनसे अदालत का वक्त जाया करने के लिये दंड वसूला जाता है। बॉम्बे हाई कोर्ट की वकील ताहेरा कुरेशी के मुताबिक पहले ये दंड कोर्ट की लाईब्रेरी या दूसरी मद में जाता था। लेकिन पिछले साल से अदालत ने मानव सेवा करने वाले ट्रस्ट खास कर टाटा कैंसर अस्पताल में दंड जमा करने का आदेश देना शुरू किया है।
धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी को भी कोर्ट ने अदालत के बाहर समझौता करने के लिये 10 हजार रुपये का दंड टाटा कैंसर अस्पताल में जमा करने का आदेश दिया था। इस नये चलन के बाद से अब तक 50 के करीब लोग टाटा कैंसर अस्पताल में 4 लाख 52 हजार रुपये के करीब जमा कर चुके हैं।
टाटा अस्पताल की प्रवक्ता स्वाती म्हात्रे का कहना है कि पहले हमें ये पता नहीं था। अगस्त 2014 मे जब एक शख्स पैसा भरने आया तो हमने उसे दान दाता समझ कर ही फार्म भरवाया। लेकिन जब हमें पता चला कि कोर्ट के आदेश से दंड की रकम भरने वो आया है तो हैरानी हुई और गर्व भी महसूस हुआ कि अदालत ने भी हमारी सेवा की तस्दीक की है।
लाईलाज बिमारी कैंसर के इलाज के लिये टाटा कैंसर अस्पताल में सालाना तकरीबन 50 हजार के करीब मरीज आते हैं। जिनमे से 60 फीसदी गरीब होते हैं और उनका इलाज रियायती दर पर किया जाता है। ये टाटा पर भरोसा ही है जो यहां सिर्फ देश भर से नहीं विदेशों से भी मरीज इलाज करवाने आते हैं। अब तो बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी है।
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