यह ख़बर 24 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

पुलिस ने बलात्कार के मामले में जांच को बिगाड़ा : कोर्ट

खास बातें

  • दिल्ली में बलात्कार की एक घटना के मामले में दिल्ली पुलिस की जांच को निर्थक और अस्पष्ट करार देते हुए एक स्थानीय अदालत ने आदेश दिया है कि जांच अधिकारियों के खिलाफ तफ्तीश करके पता लगाया जाए कि क्या यह जांच प्रेरित थी या पूरी तरह इसमें सामर्थ्य की कमी थी।
नई दिल्ली:

दिल्ली में बलात्कार की एक घटना के मामले में दिल्ली पुलिस की जांच को निर्थक और अस्पष्ट करार देते हुए एक स्थानीय अदालत ने आदेश दिया है कि जांच अधिकारियों के खिलाफ तफ्तीश करके पता लगाया जाए कि क्या यह जांच प्रेरित थी या पूरी तरह इसमें सामर्थ्य की कमी थी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश निशा सक्सेना ने पुलिस उपायुक्त (उत्तर पूर्व) को निर्देश दिया कि आरोपियों के खिलाफ बलात्कार के मामले में जांच अधिकारियों की भूमिका का पता लगाया जाए। मामले में एक बार बरी किए जा चुके आरोपियों पर एक और आपराधिक मामला चलाया गया और पुलिस ने इसके लिए कोई ठोस सबूत नहीं जुटाया।

अदालत ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस मामले में जिस तरह से जांच की गई और पूरी तरह कानून की अनदेखी की गई, उसकी वजह से संबंधित पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच की आवश्यकता है ताकि पता लगाया जा सके कि क्या यह जांच प्रेरित थी या इसमें पूरी तरह योग्यता की कमी रही।’’

मामला 2006 में दर्ज एक प्राथमिकी से जुड़ा है जिसमें एक महिला ने तीन लोगों पर बलात्कार का आरोप लगाया था। इनके नाम विनोद, सुरेश और ब्रह्मपाल हैं।

महिला ने कहा कि उसकी आर्थिक मदद करने के बहाने दूध विक्रेता विनोद उसे 17 मार्च, 2006 को उस्मानपुर के जंगल में ले गया जहां उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर उसके साथ दुष्कर्म किया। हालांकि मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज बयान में महिला ने कहा कि उसने आदेश नाम के शख्स के कहने पर 3,000 रुपये के लिए तीनों पर झूठा आरोप लगाया था। इन तीनों ने आदेश के भाई को एक आपराधिक मामले में फंसाया था।

उसने यह भी कहा कि आदेश अपनी साजिश के तहत उसे जंगल ले गया और वहां दो लोगों ने उसका बलात्कार किया ताकि मेडिकल जांच में यौन उत्पीड़न की पुष्टि हो सके।

पुलिस ने महिला के बयान के आधार पर रामकुमार उर्फ आदेश तथा उसके दो साथियों- बिजेंद्र तथा नेम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया।

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मुकदमे के दौरान महिला ने एक बार फिर बयान बदला और आदेश, बिजेंद्र तथा सिंह के खिलाफ सभी आरोपों से मुकर गई जिसके कारण अदालत ने सभी को बरी कर दिया।