कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न गंभीर परिस्थितियों के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने रविवार को 10 अलग अलग उच्चस्तरीय समितियों का गठन किया है. ये समितियां स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटाने और 21 दिन का लॉकडाउन समाप्त होने के बाद लोगों की परेशानियों को जितना संभव हो सके जल्द से जल्द दूर करने के बारे में सुझाव देंगी. देश में कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयास स्वरूप 24- 25 मार्च की मध्यरात्रि से 21 दिन का लॉकडाउन (निकलने बढ़ने पर देश व्यापी पाबंदी) लागू किया गया है. इस दौरान आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य गतिविधियों पर रोक लगा दी गई हैं. लोगों को घरों में रहने को कहा गया है.
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पीएमओ द्वारा गठित समितियां विभिन्न पहलुओं को देखेंगी. ये समितियां प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा के निर्देशन में काम करेंगी. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. सरकार के इस कदम को देश में कोरोना वायरस के प्रसार को देखते हुये विभिन्न मोर्चो पर उभरी चुनौतियों से उत्पन्न आपात स्थिति से निपटने की दिशा में सक्रियता के साथ की जा रही पहलों के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि ये समूह स्वास्थ्य देखभाल सहित अपने अपने क्षेत्रों में कम से कम संभावित समय में सामान्य स्थिति बहाल करने की रणनीति पर भी काम करेंगी. आर्थिक मामलों के सचिव अतानु चक्रवर्ती की अध्यक्षता में ‘‘अर्थव्यवस्था और कल्याण कार्य'' समिति गठित की गई है. यह समिति संगठित और असंगठित क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों की चिंताओं को दूर करेगी. कोरोना वायरस फैलने और उसके बाद लॉकडाउन की वजह से इस क्षेत्र पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है.
सूत्रों ने कहा कि अर्थव्यवस्था में गतिविधियों को कम से कम समय में वापस पटरी पर लाने के बारे में भी समिति सुझाव दे सकती है. उन्होंने बताया कि गरीबों के लिये कल्याणकारी योजनाओं पर विशेष तौर से जोर दिया जायेगा। लॉकडाउन की वजह से इस तबके पर सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ा है.सूत्रों का कहना है कि समाज के गरीब और वंचित तबके पर सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान है और आने वाले दिनों में उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जायेगी.दो अन्य कार्य समूह नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल और पर्यावरण सचिव सी.के. मिश्रा के नेतत्व में बनाये गये हैं. ये समूह चिकित्सा आपातकाल, दवाओं की बिना अड़चन के आपूर्ति, चिकित्सा उपकरण और अस्पतालों की उपलब्धता के बारे में तैयारी पर काम करेंगी.
ये समूह देशभर में सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य सरकारी एजेंसियों की चिकित्सा सुविधाओं सहित तमाम अस्पतालों की जानकारी जुटायेंगी. इनमें आपात स्थिति में पुलिस बल और सेना को भी शामिल किया जा सकेगा. सरकारी स्कूलों, विश्वविद्यालयों और रेलवे सहित कई सरकारी एजेंसियां पहले ही पृथक वार्ड उपलब्ध कराने के लिये अपनी प्रतिबद्धतायें व्यक्त कर चुकी हैं. वी के पॉल और सी के मिश्रा के तहत गठित समिति से स्वास्थ्य एवं परिवार कलयाण मंत्रालय का बोझ कम होने की उम्मीद की जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही कोविड- 19 संकट से निपटने के काम में लगा है. इसके अलावा लाजिस्टिक्स एक अन्य अहम क्षेत्र हो सकता है जिसकी देखरेख एक अन्य कार्यसमूह के जिम्मे होगी। सासमान, दवा, चिकित्सा उपकरणों, डॉक्टरों और अन्य सेवाओं के आवागमन और देखरेख की जिम्मेदारी इस समूह पर होगी.
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प्रत्येक समूह में छह सदस्य होंगी जिसमें एक अधिकारी पीएमओ से और केबिनेट सचिवालाय से होगा। ताकि किसी भी सुझाव जिसे स्वीकार किया गया है उसपर बेहतर समन्वय और बिना किसी देरी के अमल किया जा सकेगा. सूत्रों के मुताबिक कुल मिलाकर विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के 20 सचिवों के साथ 40 अन्य अधिकारियों ने विभिन्न मुद्दों और सुझावों पर काम शुरू कर दिया है. प्रत्येक समूह को उनके आवंटित खास क्षेत्र पर छह सप्ताह का समय दिया गया है। इस अवधि में उन्हें उपायों के साथ आगे आना है.
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