
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
पिछले 18 दिनों से सेना कश्मीर के कुपवाड़ा के घने जंगल में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में जुटी है लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही है। कुपवाड़ा के मानीगह के खतरनाक पहाड़ियों और जंगलों में आतंकी छिपे हुए हैं जिस वजह से उन्हें ढूढने में मुश्किल हो रही है। इस ऑपरेशन के लंबा खिंचने की वजह है, सेना अपना कोई नुकसान नहीं चाहती।
वैसे इस ऑपरेशन में सेना पहले ही 17 नवंबर को अपने एक कर्नल संतोष महादिक को खो चुकी है। इसके अलावा एक लेफ्टिनेंट कर्नल सहित सात जवान घायल हो चुके हैं। पांच दफा आतंकियों के साथ गोलाबारी भी हुई लेकिन हर बार आतंकी सेना को चकमा देकर भाग निकलने में कामयाब रहे। हर तीन से चार दिन बाद सेना और आतंकियों के बीच आमना-सामना होता है लेकिन सेना को सफलता नहीं मिल पा रही है।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि यह इलाका काफी ऊंचाई पर और घने जंगलों से घिरा हुआ है और हम किसी तरह का अपना नुकसान नहीं चाहते हैं। इस ऑपरेशन सेना के पांच हजार से ज्यादा जवान, पैरा ट्रूपर्स, हेलीकॉप्टर , यूएवी तक लगे हुए हैं। बावजूद दो से तीन आतंकी जो छिपे हुए हैं उन्हें सेना नहीं मार पा रही है।
वैसे इस ऑपरेशन में सेना पहले ही 17 नवंबर को अपने एक कर्नल संतोष महादिक को खो चुकी है। इसके अलावा एक लेफ्टिनेंट कर्नल सहित सात जवान घायल हो चुके हैं। पांच दफा आतंकियों के साथ गोलाबारी भी हुई लेकिन हर बार आतंकी सेना को चकमा देकर भाग निकलने में कामयाब रहे। हर तीन से चार दिन बाद सेना और आतंकियों के बीच आमना-सामना होता है लेकिन सेना को सफलता नहीं मिल पा रही है।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि यह इलाका काफी ऊंचाई पर और घने जंगलों से घिरा हुआ है और हम किसी तरह का अपना नुकसान नहीं चाहते हैं। इस ऑपरेशन सेना के पांच हजार से ज्यादा जवान, पैरा ट्रूपर्स, हेलीकॉप्टर , यूएवी तक लगे हुए हैं। बावजूद दो से तीन आतंकी जो छिपे हुए हैं उन्हें सेना नहीं मार पा रही है।