बिहार के विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Polls) में कांग्रेस (Congress) के कमजोर प्रदर्शन के बाद पार्टी का असंतोष एक बार फिर सार्वजनिक हो गया है. पार्टी के दो दिग्गज नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) इस मसले पर आमने-सामने आ गए हैं. अशोक गहलोत ने कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा है कि आंतरिक मसलों को मीडिया में लाने की जरूरत नहीं थी.गहलोत ने अपने ट्वीट में लिखा, 'कपिल सिब्बल को मीडिया के समक्ष हमारे आंतरिक मुद्दे का जिक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी, इससे देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है.' एक अन्य ट्वीट में गहलोत ने लिखा, 'कांग्रेस ने 1969, 1977, 1989 और बाद में वर्ष 1996 में विभिन्न संकटों का सामना किया लेकिन हर बार हम अपनी विचारधारा, कार्यक्रम, नीतियों और पार्टी नेतृत्व में विश्वास के चलते मजबूत बनकर उभरे हैं.'गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के विपक्षी महागठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी के तौर पर उभरने के पार्टी के शीर्ष नेता कपिल सिब्बल ने सार्वजनिक तौर पर प्रतिक्रिया थी.
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There was no need for Mr Kapil Sibal to mentioned our internal issue in Media, this has hurt the sentiments of party workers across the country.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
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Congress has seen various crises including 1969, 1977, 1989 and later in the 1996 - but every-time we came out stronger due to our ideology, programs, policies and firm belief in party leadership.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
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We have improved with each and every crisis and also formed UPA government in 2004 under the able leadership of Soniaji, we shall overcome this time too.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
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कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए पार्टी में अनुभवी ज्ञान रखने वाला, सांगठनिक स्तर पर अनुभवी और राजनीतिक हकीकत को समझने वाले लोगों को आगे लाने की मांग की है. पार्टी नेतृत्व पर बिना लागलपेट के आलोचना करते हुए सिब्बल ने कहा था कि आत्मचिंतन का समय खत्म हो गया है.कपिल सिब्बल ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा था, हमें कई स्तरों पर कई चीजें करनी हैं. संगठन के स्तर पर, मीडिया में पार्टी की राय रखने को लेकर, उन लोगों को आगे लाना-जिन्हें जनता सुनना चाहती है. साथ ही सतर्क नेतृत्व की जरूरत है, जो बेहद एहितयात के साथ अपनी बातों को जनता के सामने रखे. सिब्बल ने कहा, पार्टी को स्वीकार करना होगा कि हम कमजोर हो रहे हैं.
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बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश के उपचुनाव में कांग्रेस के निराशानजक प्रदर्शन पर सिब्बल ने कहा, "जिन राज्यों में सत्तापक्ष का विकल्प हैं, वहां भी जनता ने कांग्रेस के प्रति उस स्तर का विश्वास नहीं जताया, जितना होना चाहिए था. लिहाजा आत्मचिंतन का वक्त खत्म हो चुका है. हम उत्तर जानते हैं. कांग्रेस में इतना साहस और इच्छा होनी चाहिए कि सच्चाई को स्वीकार करे. "सिब्बल पार्टी के उन 23 नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अगस्त में पार्टी नेतृत्व को विरोध पत्र लिखा था. इसको लेकर पार्टी के भीतर काफी घमासान मचा था. हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस में कोई बदलाव नहीं दिखा, बल्कि पत्र लिखने वाले नेताओं का कद कम कर दिया गया.
सिब्बल ने एक इंटरव्यू में कहा, पार्टी के भीतर तब से कोई संवाद नहीं हुआ है औऱ पार्टी नेतृत्व की ओर से संवाद के लिए कोई प्रयास भी होते नहीं दिख रहा है और मेरे लिए अपनी राय अभिव्यक्त करने का कोई मंच भी नहीं है तो मैं अपनी बात सार्वजनिक तौर पर रखने के लिए विवश हूं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, मैं कांग्रेसी हूं और हमेशा रहूंगा औऱ मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस सत्ता के उस मौजूदा स्वरूप का विकल्प प्रदान करेगी, जिसने देश के सभी मूल्यों को तिलांजलि दे दी है.
पार्टी की बेहतरी से जुड़े उपायों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, सबसे पहले तो हमें संवाद की प्रक्रिया शुरू करनी होगी. हमें गठबंधन की जरूरत है और हमें जनता तक पहुंचने की भी आवश्यकता है. हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि जनता हमारे पास तक आएगी. हम उस तरह की ताकत नहीं रहे, जैसे कि कभी हुआ करते थे. हमें उन लोगों तक पहुंच बनानी होगी, जिन्हें राजनीतिक अनुभव है. लेकिन इस कवायद के लिए सबसे पहले विचार-विमर्श करना जरूरी है.
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