कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
नई दिल्ली:
कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सुप्रीम कोर्ट से राहत भरी खबर है. आपराधिक मानहानि के मामले में कोर्ट से राहत मिल सकती है और मुकदमा रद्द हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम मानते हैं कि राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के लिए RSS संस्थान को हत्यारा नहीं कहा था, सिर्फ जुड़े लोगों के लिए कहा था. ऐसे में RSS के लिए मानहानि वाली बात नहीं लगती. याचिकाकर्ता ने वक्त मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 1 सितंबर को करेगा.
महात्मा गांधी की हत्या में RSS के लोगों का हाथ बताने वाले बयान पर राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई है. राहुल गांधी ने अपने खिलाफ ट्रायल रद्द करने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. राहुल गांधी ने अपने खिलाफ महाराष्ट्र की एक निचली अदालत में चल रहे आपराधिक मानहानि से जुड़े एक मामले को रद्द करने की मांग की है. इससे पहले वह कोर्ट के माफी मांगने के प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं. राहुल की ओर से दलील दी गई कि उन्होंने जो कहा वो महात्मा गांधी की हत्या के ट्रायल पर आधारित है.
दरअसल 2014 में महात्मा गांधी की हत्या का आरोप कथित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगाने के संबंध में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का यह मामला दाखिल किया गया था. संघ की भिवंडी इकाई के सचिव राजेश कुंटे ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने सोनाले में 6 मार्च 2014 को एक चुनावी रैली में कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गांधी जी की हत्या की. कुंटे ने कहा कि कांग्रेस के नेता ने अपने भाषण के जरिए संघ की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की कोशिश की.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को मारा, RSS के लोगों ने गांधीजी को मारा, इन दोनों बातों में बहुत फर्क है. जब आप किसी व्यक्ति विशेष के बारे में बोलते हैं तो सतर्क रहना चाहिए. आप किसी की सामूहिक निंदा नहीं कर सकते. हम सिर्फ ये जांच कर रहे हैं कि राहुल गांधी ने जो बयान दिए क्या वह मानहानि के दायरे में हैं या नहीं. कोर्ट ने कहा था कि आपको केस में ट्रायल फेस करना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भिवंडी कोर्ट के मामले की पुलिस से रिपोर्ट मांगने पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि मानहानि के मामलों में पुलिस की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम मानते हैं कि राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के लिए RSS संस्थान को हत्यारा नहीं कहा था, सिर्फ जुड़े लोगों के लिए कहा था. ऐसे में RSS के लिए मानहानि वाली बात नहीं लगती. याचिकाकर्ता ने वक्त मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 1 सितंबर को करेगा.
महात्मा गांधी की हत्या में RSS के लोगों का हाथ बताने वाले बयान पर राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई है. राहुल गांधी ने अपने खिलाफ ट्रायल रद्द करने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. राहुल गांधी ने अपने खिलाफ महाराष्ट्र की एक निचली अदालत में चल रहे आपराधिक मानहानि से जुड़े एक मामले को रद्द करने की मांग की है. इससे पहले वह कोर्ट के माफी मांगने के प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं. राहुल की ओर से दलील दी गई कि उन्होंने जो कहा वो महात्मा गांधी की हत्या के ट्रायल पर आधारित है.
दरअसल 2014 में महात्मा गांधी की हत्या का आरोप कथित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगाने के संबंध में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का यह मामला दाखिल किया गया था. संघ की भिवंडी इकाई के सचिव राजेश कुंटे ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने सोनाले में 6 मार्च 2014 को एक चुनावी रैली में कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गांधी जी की हत्या की. कुंटे ने कहा कि कांग्रेस के नेता ने अपने भाषण के जरिए संघ की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की कोशिश की.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को मारा, RSS के लोगों ने गांधीजी को मारा, इन दोनों बातों में बहुत फर्क है. जब आप किसी व्यक्ति विशेष के बारे में बोलते हैं तो सतर्क रहना चाहिए. आप किसी की सामूहिक निंदा नहीं कर सकते. हम सिर्फ ये जांच कर रहे हैं कि राहुल गांधी ने जो बयान दिए क्या वह मानहानि के दायरे में हैं या नहीं. कोर्ट ने कहा था कि आपको केस में ट्रायल फेस करना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भिवंडी कोर्ट के मामले की पुलिस से रिपोर्ट मांगने पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि मानहानि के मामलों में पुलिस की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.
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