मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बुधवार देर शाम हुए राजनीतिक घटनाक्रम में BJP की एन. बीरेन सिंह सरकार से 9 विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद गुरुवार को कांग्रेस ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. अगर सरकार विश्वास मत हासिल करने में असफल रहती है तो भाजपा पूर्वोत्तर के इस राज्य को खो देगी जहां चुनाव के बाद कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद बीजेपी ने सरकार बनाने में सफलता पाई थी.
अविश्वास प्रस्ताव तब लाया गया है जब पूर्वोत्तर में बीजेपी की प्रमुख सहयोगी कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है.
सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट या SPF नाम के नए गठबंधन को तृणमूल कांग्रेस का एक और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी प्राप्त है. पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली SPF ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का आग्रह किया है.
मणिपुर में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से भाजपा नीत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जल्द ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया. कांग्रेस विधायक दल के नेता ओ इबोबी सिंह अपनी पार्टी के अन्य विधायकों और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. पत्र सौंपने के बाद एनपीपी प्रमुख थांगमिलेन किपगेन ने पत्रकारों से कहा, 'एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए हमने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया है.' इससे पहले दिन में, इबोबी सिंह ने कहा था कि उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से इस्तीफा देने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के सभी चारों मंत्रियों से राज्य में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए संपर्क किया.
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