
राहुल गांधी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में कोई जोखिम उठाने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि राज्य में सरकार बनाने के लिए पार्टी ने जेडीएस को अपना समर्थन देने का फैसला किया है. जानकरा इसे राहुल गांधी के प्लान बी का हिस्सा भी मान रहे हैं. गौरतलब है कि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा के आसार को देखते हुए पार्टी ने चुनावी नतीजों से ठीक एक दिन पहले सोमवार को ही अपने दो वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत और गुलाम नबी आजाद को बेंग्लुरू भेजा था. पार्टी सूत्रों के मुताबिक कई एग्जिट पोल में कर्नाटक विधानसभा चुनाव नतीजों में खंडित जनादेश की तस्वीर सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गोवा और मणिपुर जैसी स्थिति से निपटने के लिए पहले से तैयारी रखना चाहते थे.
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सोमवार देर शाम दिल्ली से बेंग्लुरू पहुंचे वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया के आवास पर भी पहुंच गए थे. उनमें पार्टी के राज्य प्रभारी केसी वेणुगोपाल भी शामिल थे. कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया कि मणिपुर और गोवा में जो हुआ उसके देखते हुए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व खासकर राहुल गांधी प्लान बी के विकल्प पर पहले ही तैयारी कर चुके थे. इसी के तहत गहलोत और आज़ाद को कर्नाटक भेजा गया.
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पार्टी सूत्रों का कहना है कि रात में ही गहलोत और आजाद ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से फोन पर बात की और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जेडीएस का समर्थन करने के फैसले से उनको अवगत कराया है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी कुमारस्वामी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार को बाहर से समर्थन देगी.
VIDEO: कांग्रेस का टूटा घमंड- रविशंकर प्रसाद.
गौरतलब है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार गठन के लिए जेडीएस को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की है. (इनपुट भाषा से)
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पार्टी सूत्रों का कहना है कि रात में ही गहलोत और आजाद ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से फोन पर बात की और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जेडीएस का समर्थन करने के फैसले से उनको अवगत कराया है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी कुमारस्वामी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार को बाहर से समर्थन देगी.
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गौरतलब है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार गठन के लिए जेडीएस को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की है. (इनपुट भाषा से)
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