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This Article is From Oct 03, 2019

दिग्विजय सिंह बोले- महात्मा गांधी जिंदा होते तो कश्मीर से Article 370 हटाए जाने के फैसले के खिलाफ निकालते मार्च

Article 370: संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के हालिया भाषण का हवाला देते हुए दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने बुधवार को कहा कि मुस्लिमों के चरमपंथीकरण की तरह हिंदुओं का चरमपंथीकरण भी खतरनाक है.

दिग्विजय सिंह बोले- महात्मा गांधी जिंदा होते तो कश्मीर से Article 370 हटाए जाने के फैसले के खिलाफ निकालते मार्च
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh).
इंदौर:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने कहा कि अगर महात्मा गांधी जिंदा होते तो वह केंद्र के जम्मू-कश्मीर के फैसले के खिलाफ दिल्ली से श्रीनगर तक मार्च का ऐलान कर देते. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 'कश्मीरियत, जम्हूरियत और इन्सानियत' के जरिए जम्मू-कश्मीर मुद्दे के हल करने के सिद्धांत को खत्म कर दिया. साथ ही उन्होंने कहा, 'अगर महात्मा गांधी जिंदा होते तो जिस दिन अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाया गया, उस दिन वे दिल्ली में लाल किले से श्रीनगर में लाल चौक तक की यात्रा का ऐलान कर देते. दिग्विजय ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही. 

साथ ही उन्होंने यह भी कहा, "भारत एक धार्मिक देश है. महात्मा गांधी इस देश की सनातनी संस्कृति में निहित सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव के संदेशों को अच्छी तरह समझते थे. लेकिन देश के वर्तमान हालात में सनातनी परंपरा वाले धर्म के साथ गांधी, भगवान महावीर और गौतम बुद्ध की अहिंसा की विचारधाराएं भी संकट में हैं, क्योंकि हिंसा को पनपाने वाले लोगों को महिमामंडित किया जा रहा है."

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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के हालिया भाषण का हवाला देते हुए दिग्विजय सिंह ने बुधवार को कहा कि मुस्लिमों के चरमपंथीकरण की तरह हिंदुओं का चरमपंथीकरण भी खतरनाक है. उनके इस बयान पर विवाद उत्पन्न हो गया है.  उन्होंने कहा, 'आपने (संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में) पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का हालिया भाषण सुना होगा जिसमें वह इस्लामोफोबिया और इस्लामी चरमपंथ की बात कर रहे थे. इसके विरोध में "रेडिकलाइजेशन ऑफ द हिंदूज" (हिंदुओं का चरमपंथीकरण) की बात की जा रही है और "रेडिकलाइजेशन ऑफ द हिंदूज" भी उतना ही खतरनाक है, जितना खतरनाक "रेडिकलाइजेशन ऑफ द मुस्लिम्स (मुस्लिमों का चरमपंथीकरण) है.'

उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान में बहुसंख्यकों का सांप्रदायिकरण हुआ है और वहां के हालात आप देख ही रहे हैं. इसी तरह अगर भारत में बहुसंख्यकों का सांप्रदायिकरण होगा, तो इसके दुष्परिणामों से हमारे देश को बचाना आसान नहीं होगा."     राज्यसभा सदस्य ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जिया-उल-हक के कार्यकाल में भी पड़ोसी मुल्क में "घोर चरमपंथ" को बढ़ावा दिया गया था.

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दिग्विजय ने कहा, "जवाहरलाल नेहरू का कथन था कि अल्पसंख्यकों की सांप्रदायिकता के मुकाबले बहुसंख्यकों की सांप्रदायिकता ज्यादा खतरनाक होती है." उन्होंने कहा, "सांप्रदायिकता का भूत जब तक बोतल में बंद है, बंद है. लेकिन इसके एक बार बाहर निकलने के बाद इसे दोबारा बोतल में डालना आसान नहीं है."

उधर, भाजपा ने दिग्विजय के बयान पर कड़ी आपत्ति जतायी है. प्रदेश भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ने कहा, "भगोड़े इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक की भाषा बोलते हुए दिग्विजय हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक विषवमन कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि इसी मानसिकता के कारण दिग्विजय को मई में संपन्न लोकसभा चुनावों में भोपाल लोकसभा सीट पर भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

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