नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्रियोें के साथ पीएम माेदी
नई दिल्ली:
ज़मीन अधिग्रहण बिल पर चर्चा के लिए बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार आए, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पहुंचे, लेकिन कांग्रेस का 9 में से एक भी मुख्यमंत्री नहीं पहुंचा। वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक कुछ मुख्यमंत्री अपने राज्यों में जमीन अधिग्रहण कानून में बदलाव पर तैयार हैं।
बैठक के बाद जेटली ने कहा, 'कुछ मुख्यमंत्रियों ने कहा कि राज्य लंबे समय तक नए ज़मीन अधिग्रहण बिल पर राजनीतिक सहमति बनने का इंतज़ार नहीं कर सकते। केन्द्र इस मुद्दे को राज्यों पर छोड़ दे। राज्य अपने-अपने कानून में बदलाव करें और केन्द्र उन्हें मंज़ूरी दे।'
वित्त मंत्री ने ये साफ कर दिया कि फिलहाल इस बिल पर ज्वाइंट सेशन बुलाने के सवाल पर वो टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
उधर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरिश रावत ने एनडीटीवी से बातचीत में साफ कर दिया कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री ज़मीन अधिग्रहण बिल पर चर्चा में भाग नहीं लेना चाहते थे। उन्होंने कहा, 'ज़मीन अधिग्रहण बिल पर विरोध की वजह से कांग्रेस के सभी मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक का बहिष्कार कर दिया।'
कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के बहिष्कार पर प्रतिक्रिया देते हुए जेटली ने कहा, 'जिन लोगों ने बैठक में भाग नहीं लिया उन्हें इस बारे में सोचना चाहिये कि क्या उनका फैसला सहयोगी संघवाद के अनुरूप था?'
जबकि बैठक में शामिल विरोधी खेमे के दो मुख्यमंत्रियों ने भी बिल का विरोध किया। नीतीश कुमार के मुताबिक ये बिल लाने के लिए सही वक़्त नहीं है। वहीं केजरीवाल कानून में बदलाव से पहले 2013 के कानून को लागू कर उसे परखने के पक्ष में हैं।
दरअसल नए ज़मीन अधिग्रहण बिल पर पीएम की हाई-लेवल मीटिंग का बॉयकाट कर कांग्रेस ने ये साफ संकेत दे दिया है कि वो अब इस मुद्दे पर सरकार से बात करने को भी तैयार नहीं है। अब देखना होगा कि राज्यों में आम राय बनाने में नाकामी के बाद अब प्रधानमंत्री इस मसले पर आगे क्या रणनीति अख्तियार करते हैं।
बैठक के बाद जेटली ने कहा, 'कुछ मुख्यमंत्रियों ने कहा कि राज्य लंबे समय तक नए ज़मीन अधिग्रहण बिल पर राजनीतिक सहमति बनने का इंतज़ार नहीं कर सकते। केन्द्र इस मुद्दे को राज्यों पर छोड़ दे। राज्य अपने-अपने कानून में बदलाव करें और केन्द्र उन्हें मंज़ूरी दे।'
वित्त मंत्री ने ये साफ कर दिया कि फिलहाल इस बिल पर ज्वाइंट सेशन बुलाने के सवाल पर वो टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
उधर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरिश रावत ने एनडीटीवी से बातचीत में साफ कर दिया कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री ज़मीन अधिग्रहण बिल पर चर्चा में भाग नहीं लेना चाहते थे। उन्होंने कहा, 'ज़मीन अधिग्रहण बिल पर विरोध की वजह से कांग्रेस के सभी मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक का बहिष्कार कर दिया।'
कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के बहिष्कार पर प्रतिक्रिया देते हुए जेटली ने कहा, 'जिन लोगों ने बैठक में भाग नहीं लिया उन्हें इस बारे में सोचना चाहिये कि क्या उनका फैसला सहयोगी संघवाद के अनुरूप था?'
जबकि बैठक में शामिल विरोधी खेमे के दो मुख्यमंत्रियों ने भी बिल का विरोध किया। नीतीश कुमार के मुताबिक ये बिल लाने के लिए सही वक़्त नहीं है। वहीं केजरीवाल कानून में बदलाव से पहले 2013 के कानून को लागू कर उसे परखने के पक्ष में हैं।
दरअसल नए ज़मीन अधिग्रहण बिल पर पीएम की हाई-लेवल मीटिंग का बॉयकाट कर कांग्रेस ने ये साफ संकेत दे दिया है कि वो अब इस मुद्दे पर सरकार से बात करने को भी तैयार नहीं है। अब देखना होगा कि राज्यों में आम राय बनाने में नाकामी के बाद अब प्रधानमंत्री इस मसले पर आगे क्या रणनीति अख्तियार करते हैं।
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