यह ख़बर 05 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

नरेंद्र मोदी ने पीएम को लिखी चिट्ठी, कहा, सांप्रदायिक हिंसा विधेयक 'तबाही का नुस्खा'

नरेंद्र मोदी की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर सांप्रदायिक हिंसा विधेयक का विरोध किया और कहा कि प्रस्तावित विधेयक 'तबाही का नुस्खा' है।

मोदी ने विधेयक को राज्यों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण का प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि इस संबंध में आगे कोई कदम उठाने से पहले इस पर राज्य सरकारों, राजनीतिक पार्टियों, पुलिस और सुरक्षा एजेंसी जैसे साझेदारों से व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।

मोदी की चिट्ठी पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार आम सहमति से आगे बढ़ने की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि इस बिल पर आम सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी।

सिंह ने कहा कि सरकार विधेयकों को सुगमता से पारित कराना सुनिश्चित करने के लिए संसद के सभी वर्गों का सहयोग चाहती है।

गौरतलब है कि मोदी का यह पत्र संसद के शीत सत्र की शुरुआत पर सुबह में ही आया। मौजूदा सत्र में विधेयक पर चर्चा होने की उम्मीद है। मोदी ने अपने पत्र में आरोप लगाया, सांप्रदायिक हिंसा विधेयक गलत ढंग से विचारित, जैसे तैसे तैयार और तबाही का नुस्खा है। भाजपा नेता ने कहा, राजनीति के कारणों से, और वास्तविक सरोकार की बजाय वोट बैंक राजनीति के चलते विधेयक को लाने का समय संदिग्ध है। मोदी ने कहा कि प्रस्तावित कानून से लोग धार्मिक और भाषाई आधार पर और भी बंट जाएंगे।

उन्होंने कहा, प्रस्तावित विधेयक से धार्मिक और भाषाई शिनाख्त और भी मजबूत होंगी और हिंसा की मामूली घटनाओं को भी सांप्रदायिक रंग दिया जाएगा और इस तरह विधेयक जो हासिल करना चाहता है उसका उलटा नतीजा आएगा। भाजपा नेता ने प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा उन्मूलन (न्याय एवं प्रतिपूर्ति) विधेयक, 2013 के 'कार्य के मुद्दे' भी बुलंद किए।

उन्होंने कहा, मिसाल के तौर पर अनुच्छेद 3 (एफ) जो 'वैमनस्यपूर्ण वातावरण' को परिभाषित करता है, व्यापक, अस्पष्ट है और दुरुपयोग के लिए खुला है। मोदी ने कहा, इसी तरह अनुच्छेद 4 के साथ पठन वाले अनुच्छेद 3 (डी) के तहत सांप्रदायिक हिंसा की परिभाषा यह सवाल खड़े करेगी कि क्या केंद्र भारतीय आपराधिक विधिशास्त्र के संदर्भ में 'विचार अपराध' की अवधारणा लाई जा रही है।


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