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This Article is From Feb 14, 2015

अस्पताल में कोमा में है 3 साल का हर्षित, मदद के लिए आगे आएं

नई दिल्ली : अपने 3 साल के बेटे हर्षित के लिए मृत्युंजय के आंसू रुक नहीं रहे हैं। हर्षित 25 जनवरी से होली फैमिली अस्पताल के बिस्तर पर कोमा में है। हर्षित के सिर में गंभीर चोट आई है, उसे ब्रेन हैमरेज हो गया है, जिसके चलते शरीर के दाहिने हिस्से को लकवा मार गया है। बायां पैर टूट गया है और फिलहाल एक आंख की रोशनी भी नहीं है।

इस नन्ही सी जान का दर्द इसके पिता से देखा नहीं जाता। मृत्युंजय बताते हैं कि हर्षित हमेशा अपनी टॉय साइकिल पर बैठता था, तो हैलमेट लगाता था। यहां तक कि उनके साथ बाइक पर जाता, तब भी कहता था, पापा धीरे चलाओ...लेकिन कभी सोचा नहीं था कि मेरे ही बेटे के साथ ऐसा हो जाएगा।

दरअसल, 25 जनवरी की शाम इनके परिवार पर कहर बनकर टूटी। मृत्युंजय की पत्नी शिखा, शिखा का भाई सुमित, बहन मंजुषा, मां उषा और बेटा हर्षित एक सगाई की पार्टी से लौटकर तिमारपुर के पास लखनऊ रोड पर छोटी बहन के घर गए थे। सब घर लौटने के लिए ऑटो में बैठे थे और ऑटो खुद सुमित चलाने वाला था कि अचानक सामने से तेज़ रफ़्तार कार ने ऐसी टक्कर मारी कि सब कुछ जैसे एक झटके में बिखर गया। ऑटो की तस्वीर देखकर अंदाज़ा लगा सकते हैं कि टक्कर कितनी ख़तरनाक थी। ऑटो के परखच्चे उड़ गए।

अस्पताल से क़रीब 20 किमी दूर शाहदरा के कस्तूरबा नगर में ज़ख़्मी हर्षित की मां शिखा को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है, लेकिन पैर में फ्रैक्चर है और हाथ भी टूट गया, जिसमें प्लेट डाली गई है। प्यार से बेटे को हनी बुलाने वाली शिखा उसकी हालत से बेख़बर है। बस जल्द ठीक होकर घर लौटने की दुआ करती रहती है।

शिखा की मां, भाई और बहन तीन हफ्ते से ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं। मां को रीढ़ की हड्डी में कई फ्रैक्चर है, तो भाई सुमित के सिर, पैर और कूल्हे में गंभीर चोटें हैं। बहन मंजूषा के दोनों पैरों की कई हड्डियां टूटी हुई हैं। चोट इतनी गंभीर हैं कि डॉक्टर भी परेशान हैं।

इस पूरे मामले में सबसे चौंका देने वाली बात ये है कि आरोपी हिमांशु जो शराब पीकर गाड़ी चला रहा था, उसे एक दिन में ही ज़मानत मिल गई और वह आज़ाद है। गाड़ी का इश्योरेंस नहीं था, इसलिए मृत्युंजय के परिवार को मुआवज़ा भी नहीं मिल पाएगा। हालांकि डीसीपी मधुर वर्मा का कहना है कि पुलिस कोशिश कर रही है कि निजी जवाबदेही का केस बनाकर आरोपी से मुआवज़ा वसूले। लेकिन इस कानूनी पचड़े में लंबा वक़्त लग सकता है और मृत्युंजय के पास वक़्त की बहुत कमी है।

मृत्युंजय एक अख़बार में क्राइम रिपोर्टर हैं, जहां उनकी तनख़्वाह 16 हज़ार रुपये है, जबकि सिर्फ़ हर्षित के इलाज पर रोज़ का खर्च ही क़रीब 18 हज़ार रुपये है। पिछले तीन हफ्तों में हर्षित के पैर का ऑपरेशन, वेंटिलेटर और ICU के खर्चे में मृत्युंजय की सारी पूंजी लग गई है। अब मृत्युंजय के दोस्त और रिश्तेदार ही उनकी मदद कर रहे हैं।

अब समाज से उम्मीद है कि वो आगे आए और हर्षित के इलाज के मृत्युंजय की मदद करे। NDTV इंडिया की पूरी टीम गुज़ारिश करती है कि लोग आगे आएं और मृत्युंजय की मदद करें।

नाम: मृत्युंजय रॉय
बैंक: पंजाब नेशनल बैंक
अकाउंट नंबर: 0602001300022619
IFSC कोड: PUNB0060200
मोबाइल नंबर: 9312520663

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