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This Article is From Aug 28, 2012

कोयला घोटाला : सोनिया ने संभाला मोर्चा, बीजेपी झुकने को तैयार नहीं

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे से कम पर तैयार होने का नाम नहीं ले रही है तो कांग्रेस कह रही है इस्तीफे का सवाल ही नहीं। ऐसे में जो लड़ाई संसद में लड़ी जानी चाहिए थी वह अब सड़कों की ओर रुख करती दिख रही है। दोनों ही दलों ने मंगलवार को इसकी ओर साफ संकेत किए।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद की कार्यवाही लगातार बाधित करने के लिए भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए पार्टी संसदीय दल की बैठक में कहा कि ब्लैकमेल करना ही उसकी रोजी-रोटी बन गई है। उन्होंने अपने सांसदों से भाजपा के रवैये के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करने को कहा।

कोयला ब्लॉक आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर सरकार और कांग्रेस दोनों ही विपक्षी दल भाजपा के हमले झेल रही हैं।

इस बीच, कांग्रेस पर उसके ही सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने यह कहते हुए हमला बोला कि कुछ कांग्रेसी नेता शायद प्रधानमंत्री के पद पर मनमोहन सिंह की जगह राहुल गांधी को लाने के इच्छुक हैं।

इन सबके बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ईरान की यात्रा पर रवाना हो गए। उन्होंने इस्तीफे की भाजपा की मांग को खारिज करते हुए सोमवार को संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर अपनी सफाई दी थी।

सपा के राज्यसभा सदस्य मोहन सिंह ने कहा, "यह संभव है कि कांग्रेस के कुछ लोग मनमोहन सिंह की जगह युवराज (राहुल गांधी) को लाना चाहते हों। कहीं यह कांग्रेस की आंतरिक चाल तो नहीं है!"

सोनिया ने संसदीय दल की बैठक में कहा कि यह 'शर्मनाक और दुखद' है कि भाजपा संसद की कार्यवाही चलने नहीं दे रही है।

इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा किए जा रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को उन्होंने राजनीति से प्रेरित बताकर उनका बचाव भी किया।

सोनिया ने कहा, "बहस का उचित मंच संसद ही है। संसद को बंधक बनाकर ब्लैकमेल करना ही भाजपा की रोजी-रोटी बन गई है। यहां तक कि इसके कुछ सहयोगियों के लिए भी यह चिंता का कारण है।" उन्होंने कहा कि आगामी चुनावों में संप्रग के खाते में जनता को उपलब्धियां गिनाने को बहुत कुछ है।
कोयला ब्लॉक आवंटन में मोटा माल कमाने के भाजपा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सोनिया ने भाजपा पर जमकर पलटवार भी किए। उन्होंने कहा, "आने वाले दिनों में हम चुनावों में ज्यादा व्यस्त रहेंगे। हमारे खाते में बहुत सी उपलब्धियां हैं। हमें रक्षात्मक होने की कोई जरूरत नहीं है। हम अपने समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं। हम विपक्ष के आरोपों से घबराने वाले नहीं है। इसलिए हमें लड़ना है और एक उद्देश्य के साथ तथा आक्रामक होकर लड़ना है।"

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कार्यवाही बाधित करना भाजपा का रोजमर्रा का काम हो गया है। "ऐसे में जबकि गम्भीर मुद्दे देश को प्रभावित कर रहे हैं, यह शर्मनाक व दुखद है कि भाजपा संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रही है। भाजपा का यह रवैया गैर-जिम्मेदाराना है। उसका रवैया दर्शाता है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति उसके मन में कितना सम्मान है। उनके बारे में और क्या कहा जा सकता है जब उनके वरिष्ठ नेता हमारी सरकार को अवैध कहते हैं और देश की जनता ने हमें जो जनादेश दिया है उसका मजाक उड़ाते हैं।"

ज्ञात हो कि भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पिछले दिनों संयुक्त प्रगतिशील सरकार की वैधता पर सवाल उठाया था जिसके बाद सोनिया ने अचानक आक्रामक रुख अपना लिया था। बाद में आडवाणी को अपना यह बयान वापस लेना पड़ा था।

सोनिया ने कहा, "मैंने पहले भी कई बार कहा है और आगे भी कहूंगी कि सरकार और प्रधानमंत्री किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए हमेशा तैयार हैं। प्रधनमंत्री ने कोयला आवंटन पर संसद में स्पष्ट, व्यापक और ठोस बयान दिया है। यह पूरी तरह से भाजपा और उसके दुष्प्रचार का पोल खोलती है।"

ब्लैकमेल करने के सोनिया के आरोप का जवाब देते हुए भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा, "एक सरकार जिसकी विश्वनीयता ही कोयले के सौदे में काली हो गई है, उसे ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता है।"

इस बीच, हंगामे के कारण लगातार छठे दिन संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित हुई।

लोकसभा और राज्यसभा में दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब कार्यवाही शुरू हुई तब भी स्थिति पूर्ववत ही बनी रही, जिसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। संसद की कार्यवाही इससे पहले दोपहर 12 बजे तक और फिर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।

संसद के दोनों सदनों में हुए हंगामे में हालांकि केवल भाजपा की भूमिका नहीं थी, बल्कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सहयोगियों ने भी खूब हंगामा किया। उनका मुद्दा हालांकि बिल्कुल अलग था।

डीएमके के साथ-साथ तमिलनाडु की अन्य पार्टियों ने भी श्रीलंका के सैनिकों को प्रशिक्षण देने का विरोध करते हुए संसद में नारेबाजी की और बाद में सदन से बहिर्गमन कर गए।

भाजपा अपनी मांग को लेकर 21 अगस्त से ही संसद में हंगामा कर रही है, जिसके कारण कोई भी संसदीय काम नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आंतरिक सुरक्षा, किसानों, महंगाई तथा आर्थिक सुस्ती से सम्बंधित विधेयकों का भविष्य अधर में लटक गया है।

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