कोयला घोटाले मामले में घिरते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बचाव में विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि किसी फाइल के हर पन्ने को देखकर प्रधानमंत्री हस्ताक्षर नहीं करते।
खुर्शीद ने कहा कि कोई साजिश नहीं हुई। सरकार के पास कुछ फाइलें आईं और सरकार ने उनपर निर्णय लिया और और स्वीकार कीं। सलमान खुर्शीद ने प्रश्न किया कि क्या आप चाहते हैं कि प्रधानमंत्री फाइल का हर पन्ना पढ़ें दस्तखत करने से पहले। खुर्शीद का तर्क है कि इस तरह से कोई काम नहीं हो सकता।
इससे पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा कि इस पूरे मसले पर पीएमओ और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख एक ही बात बोल रहे हैं। उनका कहना है कि यदि अब जांच में कोई ऐसी जानकारी सामने आती है जो उस वक्त पीएमओ को नहीं दी गई तो यह एक अलग मसला है।
शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक के विवादास्पद आवंटन मुद्दे में किसी तरह की आपराधिक साजिश को यह कहते हुए खारिज किया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसे मंजूरी मामले की पात्रता के आधार पर दी थी जो उनके समक्ष रखी गई थी।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह स्पष्ट किया कि सिंह ‘सक्षम प्राधिकार’ थे, जिन्होंने वर्ष 2005 में कोयला मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने साथ ही यह भी रेखांकित किया कि हिंडाल्को सहित संयुक्त उद्यम को आवंटन सार्वजनिक उपक्रम नेवेली लिग्नाइट कारपोरेशन की कीमत पर नहीं किया गया था।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने उस घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्योरा जारी किया, जिसके बाद सिंह ने एक अक्टूबर 2005 को इस आवंटन को मंजूरी दी थी और कहा कि ‘प्रधानमंत्री इस बात से संतुष्ट हैं कि इस संबंध में किया गया अंतिम निर्णय पूरी तरह से उचित और मामले की पात्रता के आधार पर किया गया था जो उनके समक्ष रखा गया था।’
प्रधानमंत्री कार्यालय ने निर्णय का बचाव करते हुए सिंह द्वारा इससे पहले दिए गए बयानों का हवाला दिया कि सरकार के पास छुपाने को कुछ नहीं है और वह सीबीआई के साथ पूरा सहयोग करेगी जो इस मामले की जांच कर रही है।
गौरतलब है कि कोयला घोटाले की जांच में लगी सीबीआई ने एक एफआईआर दर्ज कराई जिसमें पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख और उद्योगपति कुमारमंगलम बिड़ला का नाम दर्ज करवाया है। इन दोनों पर घोटाले में आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगाए हैं। साथ ही इस एफआईआर में एक 'सक्षम अधिकारी' की बात कही है। इस सक्षम अधिकारी को पीएम समझा जा रहा था।
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