
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि कोयला घोटाला मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पार्टी नहीं बनाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पीएम का नाम आरोपियों की सूची में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की वह अपील भी ठुकरा दी जिसमें कहा गया था कि पीएम से इस मामले में हलफनामा देने के लिए कहा जाए।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सीबीआई की जांच फिलहाल जारी है। गौरतलब है कि 2012 में इस घोटाले के उजागर होने के बाद से विपक्ष लगातार पीएम को जांच के दायरे में लाने और उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है।
विपक्ष का कहना था कि सरकार ने कोयले की खदानों की नीलामी नहीं की और मनमाने तरीके से निजी कंपनियों को लाइसेंस दे दिए, इससे देश को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
जांच के आदेश के बाद से सीबीआई लगातार कहती आ रही है कि खदानों को वास्तविक कीमत से कम में निजी कंपनियों को दिया गया। खदानें ऐसी भी कंपनियों को दे दी गईं, जो इसकी पात्र भी नहीं थीं। जब यह घोटाला हुआ उस दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही कोयला मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे थे।
इससे पहले, सीबीआई ने हाल ही में इस मामले में दर्ज कराई नहीं एफआईआर में पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख और उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला का नाम शामिल किया है। हाल में विदेश दौरे से लौटते समय प्रधानमंत्री ने पत्रकारों से कहा था कि वह जांच के लिए तैयार हैं।
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