नेवी के प्रमुख के रूप में वाइस एडमिरल करमबीर सिंह की नियुक्ति के खिलाफ बिमल वर्मा दाखिल करेंगे नई याचिका

सूत्रों के मुताबिक वाइस एडमिरल वर्मा को नेवी चीफ न बनाये जाने के पीछे उनका ऑपरेशनल कमांड का अनुभव का ना होना है. नेवी वॉर रूम लीक में उनके खिलाफ की गई टिप्पणी और पीवीएसएम का न मिलना भी आधार बनाया गया है. 

नेवी के प्रमुख के रूप में वाइस एडमिरल करमबीर सिंह की नियुक्ति के खिलाफ बिमल वर्मा दाखिल करेंगे नई याचिका

अंडमान निकोबार कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल बिमल वर्मा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

अंडमान निकोबार कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने नए बनने वाले नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल करमबीर सिंह की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल में वापस ले ली है. अब वह नई याचिका दाखिल करेंगे. नई याचिका में सरकार से मिले जवाब पर आधारित होगी कि आखिर क्यों वर्मा को नेवी चीफ क्यों नही बनाया गया है. माना जा रहा है कि यह याचिका कल या परसों आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल में दाखिल हो जाएगी. बिमल वर्मा की बेटी रिया वर्मा ने एनडीटीवी से कहा है वह सरकार के फैसले से संतुष्ट नहीं है. हमें लगता है कि हमारे साथ अन्याय हुआ है और ये खतरनाक चलन है जिसमें जूनियर को चीफ बनाया जा रहा है. आपको बता दें कि शनिवार को रक्षा मंत्रालय ने वाइस एडमिरल बिमल वर्मा की वैधानिक याचिका खारिज़ कर दी थी . बिमल वर्मा का कहना है कि वो करमबीर सिंह से छह महीने सीनियर है इसलिये उन्हें नौसेना प्रमुख बनाया जाए. लेकिन  सरकार का कहना है कि  केवल वरिष्ठता के आधार ही प्रमुख नहीं बनाया जा सकता है बल्कि दूसरे मापदंड भी मायने रखते हैं.  
 

करमबीर सिंह को नया नौसेना प्रमुख बनाये जाने के खिलाफ वाइस एडमिरल बिमल वर्मा की याचिका खारिज

सूत्रों के मुताबिक वाइस एडमिरल वर्मा को नेवी चीफ न बनाये जाने के पीछे उनका ऑपरेशनल कमांड का अनुभव का ना होना है. नेवी वॉर रूम लीक में उनके खिलाफ की गई टिप्पणी और पीवीएसएम का न मिलना भी आधार बनाया गया है.  मौजूदा नौसेना प्रमुख एडिमरल सुनील लांबा के 31 मई को रिटायर हो रहे हैं. उसके बाद ही  वाइस एडमिरल करमबीर सिंह  नौसेना प्रमुख का पदभार संभालेंगे.

नए नौसेना प्रमुख की नियुक्ति का मामला पहुंचा कोर्ट

वैसे सेना में अमूनन वरिष्ठता के आधार पर ही चीफ बनाया जाता है लेकिन मौजूदा सरकार ने  दिसंबर 2016 में थल सेना प्रमुख के तौर जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति की जबकि उनसे दो वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल मौजूद थे.  सेना के इतिहास में ये पहला मौका है किसी लेफ्टिनेंट जनरल  रैंक के अफसर ने चीफ के नियुक्ति के मसले पर सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है.

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