यह ख़बर 03 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

चिदंबरम ने कहा, पीएम का इस्तीफा मांगना है मर्यादा के खिलाफ

खास बातें

  • सोमवार को वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बीजेपी की तीनों मांगें ख़ारिज कर दीं जबकि अरुण जेटली ने कहा कि इस आवंटन में सरकार का स्वार्थ दिखाई पड़ता है।
नई दिल्ली:

कोयले को लेकर चल रहा विवाद संसद के पूरे मानसून सत्र की बलि लेकर रहेगा... यह साफ हो चुका है। सोमवार को वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बीजेपी की तीनों मांगें ख़ारिज कर दीं जबकि अरुण जेटली ने कहा कि इस आवंटन में सरकार का स्वार्थ दिखाई पड़ता है।

मामले पर सफाई पेश करते हुए चिदंबरम ने कहा प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगना मर्यादा के ख़िलाफ़ है। आवंटन रद्द करने की मांग करना तर्क के ख़िलाफ़ है और आवंटन की जांच की मांग देरी से की जा रही मांग है।

तीखे हमले के साथ वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने साफ कर दिया कि सरकार बीजेपी की नहीं सुनने जा रही है।  

चिदंबरम ने यह जानकारी भी दी कि कुल 32 कोल ब्लॉक ऐसे हैं जहां प्रगति संतोषजनक नहीं है। इनमें सात ब्लॉक 2004 के पहले के हैं और 25 ब्लॉक 2004 के बाद के। देश के 30 कोल ब्लॉक से कोयला निकाला जा रहा है और 17 ब्लॉक से कोयला निकाले जाने का काम जल्द शुरू होगा। इनके अलावा 58 ब्लॉक पर्यावरण की हरी झंडी या जंगल के इलाके में पड़ने से रुके हुए हैं।

चिदंबरम ने कहा कि कोयला ब्लाक आवंटन रद्द करने की प्रक्रिया पेचीदा है और सरकार नियमों को ध्यान में रखकर ही इस दिशा में आगे बढ़ना चाहती है।

दूसरी ओर, इंटर−मिनिस्ट्रिरियल ग्रुप को प्रधानमंत्री कार्यालय ने 15 सितंबर तक अपनी सिफारिश तैयार कर लेने की सलाह दी है लेकिन आवंटन रद्द करने और मामले की जांच कराने पर अड़ी बीजेपी ने कहा इन आवंटनों में सरकार का स्वार्थ दिखता है।

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इस पूरे मामले को बीजेपी और कांग्रेस की नूरा कुश्ती बता चुके लेफ्ट फ्रंट ने कहा कि यह दोस्ती−यारी वाला पूंजीवाद है। यह मुद्दा बड़ी बहस का है लेकिन टकराव छोटे स्वार्थों के हैं इसलिए संसद अटकी पड़ी है।