मुंबई:
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं करोड़ों रुपये के आदर्श घोटाले के आरोपी अशोक चव्हाण ने मामले के बेनकाब होने और बंबई उच्च न्यायालय में 2010 में एक जनहित याचिका दायर होने के बाद 69 लाख रुपये लौटा दिए थे। यह धन उन्हें उनके करीबी सहयोगी जयंत शाह से उनके रिश्तेदारों के लिए फ्लैट खरीदने के मकसद से कथित तौर पर मिला था।
इस बात का खुलासा सीबीआई द्वारा इस माह के शुरू में चव्हाण और 12 अन्य के खिलाफ इस मामले में दाखिल 10 हजार पृष्ठों के आरोपपत्र में हुआ है।
इस दस्तावेज के अनुसार चव्हाण को 70 लाख रुपये मालव से मिले थे जो उनके करीबी सहयोगी एवं बिल्डर जयंत शाह का पुत्र है। इस धन का भुगतान दक्षिणी मुंबई स्थित 31 मंजिला इमारत में चव्हाण के रिश्तेदारों के लिए फ्लैट खरीदने के मकसद से किया गया।
आरोपपत्र के अनुसार ‘उक्त राशि में से 55 लाख रुपये और 14 लाख चव्हाण ने 19 नवंबर 2010 को एक जनहित याचिका दायर होने के बाद लौटा दिए। याचिका में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह इस लेनदेन और सोसाइटी में फ्लैट खरीदने के लिए सदस्यों द्वारा किए गए भुगतान के तौर तरीकों के बारे मे गौर करे।’
चव्हाण की सास भगवती शर्मा और ससुर के भाई मदनलाल मिल्मीराम शर्मा के इस इमारत में फ्लैट हैं।
आरोपपत्र के अनुसार चव्हाण ने इस सोसाइटी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए दो बार राजस्व मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया।
इस बात का खुलासा सीबीआई द्वारा इस माह के शुरू में चव्हाण और 12 अन्य के खिलाफ इस मामले में दाखिल 10 हजार पृष्ठों के आरोपपत्र में हुआ है।
इस दस्तावेज के अनुसार चव्हाण को 70 लाख रुपये मालव से मिले थे जो उनके करीबी सहयोगी एवं बिल्डर जयंत शाह का पुत्र है। इस धन का भुगतान दक्षिणी मुंबई स्थित 31 मंजिला इमारत में चव्हाण के रिश्तेदारों के लिए फ्लैट खरीदने के मकसद से किया गया।
आरोपपत्र के अनुसार ‘उक्त राशि में से 55 लाख रुपये और 14 लाख चव्हाण ने 19 नवंबर 2010 को एक जनहित याचिका दायर होने के बाद लौटा दिए। याचिका में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह इस लेनदेन और सोसाइटी में फ्लैट खरीदने के लिए सदस्यों द्वारा किए गए भुगतान के तौर तरीकों के बारे मे गौर करे।’
चव्हाण की सास भगवती शर्मा और ससुर के भाई मदनलाल मिल्मीराम शर्मा के इस इमारत में फ्लैट हैं।
आरोपपत्र के अनुसार चव्हाण ने इस सोसाइटी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए दो बार राजस्व मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया।
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