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This Article is From Jan 16, 2020

NPR के नियमों पर भ्रम दूर करने की कोशिश में गृह मंत्रालय, 15 प्वाइंट में जानें क्‍या बदला गया

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को लेकर जारी तमाम विवादों के बीच गृह मंत्रालय की तरफ़ से इसको लेकर स्थिति साफ़ करने की कोशिश की गई है. इस बारे में नियमों को लेकर गृह मंत्रालय ने कई जानकारियां दी है. सरकार लोगों का भ्रम दूर करने के लिए ये कवायद कर रही है.

नियमों को लेकर गृह मंत्रालय ने कई जानकारियां दी है.

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को लेकर जारी तमाम विवादों के बीच गृह मंत्रालय की तरफ़ से इसको लेकर स्थिति साफ़ करने की कोशिश की गई है. इस बारे में नियमों को लेकर गृह मंत्रालय ने कई जानकारियां दी है. सरकार लोगों का भ्रम दूर करने के लिए ये कवायद कर रही है. बता दें कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) सभी भारतीय निवासियों की पहचान का एक डेटाबेस है. ये डेटाबेस भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त द्वारा मैनेज किया जाता है. भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए एनपीआर में पंजीकरण कराना अनिवार्य है. कोई भी व्यक्ति जो 6 महीने या उससे अधिक समय से किसी इलाके में रह रहा हो तो उसे नागरिक रजिस्टर में जरूरी रजिस्ट्रेशन कराना होता है. आइए जानते हैं, इसके नियमों में सरकार की तरफ़ से क्या बदलाव किए गए हैं.

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NPR में क्या हुए बदलाव:

- NPR से PAN नंबर का कॉलम हटाया गया
- ट्रायल के दौरान 30 लाख लोगों के फ़ीडबैक के बाद हटाया
- नए NPR फॉर्म में मातृ भाषा की जानकारी जोड़ी
- नए फॉर्म में 21 अलग-अलग जानकारी की मांग
- 2010, 2105 में 14 जानकारियां मांगी गई थी
- माता-पिता का जन्म स्थान, पिछला पता जैसी जानकारी
- आधार की जानकारी देना वैकल्पिक
- वोटर ID, मोबाइल नंबर, ड्राइविंस लाइसेंस की जानकारी
- आंकड़े इकट्ठा करने वाले कोई दस्तावेज़ नहीं मांगेंगे, जो जानकारी दी जाएगी उसे बस नोट करेंगे
- NPR के लिए सबसे पहले 2010 में डेटा कलेक्शन, 2015 में इसे अपडेट किया गया
- अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच जनगणना के साथ अगल चरण
- असम में NPR का काम अभी नहीं
- पश्चिम बंगाल, केरल का डाटा अपडेट से इनकार
- क़ानून व्यवस्था के हवाले से अपडेट से इनकार
- लद्दाख, पुदुच्चेरी, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश ने भी NPR अपडेट की तारीख़ तय नहीं की

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क्या करेगा नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर?

- सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत दिया जाने वाला लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे और व्यक्ति की पहचान की जा सके.
- सोशियो इकोनॉमिक कास्ट सेंसस (SECC) एनपीआर डेटा पर आधारित है, जिसे बाद में विभिन्न प्रकार के लाभार्थियों को तय करने के लिए उपयोग किया गया था. आयुष्मान भारत, जन धन योजना, प्रधान मंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, सौभाग्या आदि योजनाओं के बेहतर लक्ष्यीकरण में घरेलू वार एनपीआर डेटा का उपयोग किया गया था.
- एनपीआर विभिन्न सरकारी योजनाओं/कार्यक्रमों के तहत लाभ के वितरण तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करेगा.

नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) का उद्देश्य- 
ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल और एंड सेंसस कमिश्नर की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक एनपीआर का उद्देश्य देश में हर सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है. 

कैसे हुई एनपीआर की शुरुआत?
यूपीए सरकार ने साल 2010 में NPR बनाने की पहल शुरू की थी. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर) के लिए 2011 की जनगणना के पहले 2010 में डेटा कलेक्ट किया गया था. इस डेटा को घर-घर जाकर सर्वे करके 2015 में अपडेट किया गया था.

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