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This Article is From Apr 21, 2020

कोरोना संकट के बीच चावल से सैनेटाइजर बनाने की खबरों पर विपक्ष की आलोचनाओं का सरकार ने दिया यह जवाब...

चावल से सैनेटाइजर बनाने की खबरों पर विपक्ष की तरफ से हुई आलोचनाओं के बाद अब सरकार की तरफ से जवाब आया है.

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कोरोना संकट के बीच चावल से सैनेटाइजर बनाने की खबरों पर विपक्ष की आलोचनाओं का सरकार ने दिया यह जवाब...
देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 19 हजार के करीब पहुंचा.
नई दिल्ली:

देश में जारी कोरोना (Coronavirus) संकट में बीच NDTV ने सोमवार को एक खबर की थी, जिसमें सरकार ने गोदामों में मौजूद अतिरिक्त चावल का उपयोग हैंड सैनेटाइजरों (Sanitisers) की आपूर्ति के लिए जरूरी इथेनॉल बनाने में करने का फैसला किया था. सरकार ने यह फैसला ऐसे समय किया जब देशव्यापी कोरोनावायरस लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. इसे लेकर सरकार की किरकिरी शुरू हो गई. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने NDTV की खबर को शेयर करते हुए और सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया, 'आख़िर हिंदुस्तान का ग़रीब कब जागेगा? आप भूखे मर रहे हैं और वो आपके हिस्से के चावल से सैनेटाइज़र बनाकर अमीरों के हाथ की सफ़ाई में लगे हैं.' विपक्ष की तरफ से हुई आलोचनाओं के बाद अब सरकार की तरफ से जवाब आया है.

खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि अमीरों के लिए सैनेटाइजर की व्यवस्था की जा रही है, जो ऐसा सोचते हैं कि सैनेटाइजर, मास्क और सुरक्षा के साधनों पर पहला अधिकार अमीरों मात्र का है उन्हें अपनी सोच बदलनी होगी. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वह सरकार है, जिसका सिर्फ एक ही धर्म हैं वह है गरीबों का कल्याण. पिछले 6 साल में विश्व के सबसे लोकप्रिय जनसेवक नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने गरीबों, पिछड़ों, शोषित और सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के रोजगार, ईंधन, शिक्षा और स्वास्थ्य की जिस तरह चिंता की है, उसकी बदौलत आज कोरोना संकट के दौरान पीएम मोदी के एक आह्वान पर देश एकजुट है. एक सच्चे जनसेवक के रूप में आदरणीय प्रधानमंत्री जी 130 करोड़ भारतीयों और विश्व के अन्य देशों की मदद के लिए भी दिन रात तत्पर हैं, यही वजह है कि वैश्विक महाशक्तियां भी आज भारत की ओर भरोसे के साथ देख रही है.

उधर, बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी के बयान पर हमला बोला. बीजेपी नेताओं ने कहा, 'इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस के युवराज जिस तरह कोरोना की जंग में सरकार के साथ होने का दावा कर रहे थे वह कथनी करनी से अलग है. सरप्लस चावल की कुछ मात्रा से एथेनॉल आधारित सैनेटाइजर बनाने के फैसले को गलत तरीके से पेश कर जनता के बीच संकट की इस घड़ी में पैनिक क्रिएट (भ्रम पैदा) करने का निंदनीय प्रयास हो रहा है. सरकार ने यह फैसला बहुत सोच-समझकर और कोरोना की जंग में जनता और किसान दोनों के हितों में लिया है. क्या कांग्रेस के युवराज को ऐसा गैरजिम्मेदाराना बयान देने से पहले एक बार भी FCI के आंकड़े पर नज़र दौड़ाना मुनासिब समझा. यदि समझा होती तो कोरोना की जंग में लोगों में दशहत पैदा करने का घृणित प्रयास नहीं करते. 

इस देश के किसानों के अथक प्रयासों की बदौलत मैं गर्व से कह सकता हूं कि आधुनिक भारत के इतिहास इतना सरप्लस अनाज शायद ही कभी सरकारी गोदामों और भंडार केंद्रों में रहा हो. 1 अप्रैल 2020 तक देश में 322.39 लाख मीट्रिक टन चावल सिर्फ एफसीआई के गोदामों में है. जाहिर सी बात है राज्यों और निजी क्षेत्र के पास भी बड़ी मात्रा में अनाज का स्टॉक होता है. इसी तरह इस महीने के शुरुआत तक गेंहूं 247 लाख मीट्रिक टन था. 

 इस तरह एफसीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 358.99 लाख मीट्रिक टन गेंहू (172.40 लाख मीट्रिक टन) और चावल (186.59 लाख मीट्रिक टन) सरप्लस मात्रा में है. अभी मैं सिर्फ गेंहू और चावल के आंकड़े बता रहां हूं, हमारे पास दालों और दूसरे अनाज भी पर्याप्त मात्रा में हैं. छत्तीसगढ़, पंजाब हरियाणा, बिहार, यूपी, एमपी समेत कई राज्यों में धान की बंपर पैदावार से वहां सरप्लस चावल गोदामों में पड़ा है. कांग्रेस के नीति निर्धारकों को इतनी जानकारी तो होनी ही चाहिए कि सरकार हर साल बड़ी मात्रा में चावल और गेंहूं का निर्यात भी करती है. 

बायोफ्यूल की नेशनल पॉलिसी 2018 के पैरा 5.3 में साफ-साफ शब्दों में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय के अनुमान से अधिक खाद्यान की पैदावार होने, सप्लाई होने, भंडार होने पर नेशनल बायोफ्यूल को-ऑर्डिशनेन कमेटी की मंजूरी से संबंधित खाद्यान का प्रयोग एथनॉल के निर्माण में किया जा सकेगा. ऐसे में यदि चावल की सरप्लस मात्रा के कुछ हिस्से से एथेनॉल बनाने का फैसला हुआ है तो क्या इससे उन किसानों तक अच्छा संदेश नहीं जाएगा जो कई बार अपने उत्पादों को लेकर आर्थिक असुरक्षा से जूझते हैं. 

VIDEO: बायोफ्यूल पर राष्ट्रीय नीति, सरप्लस अनाज से इथेनॉल बनाने का सुझाव

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