कोयला घोटाला मामले में सुनाई गई सजा. तस्वीर: प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:
कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) से जुड़े कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता को पटियाला हाउस कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के जज भरत पराशर ने गुप्ता के अलावा कोयला मंत्रालय के दो पूर्व अधिकारी केएस क्रोफा और केसी सामरिया को भी दो साल की सजा सुनाई गई है. दोषियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है. कंपनी केएसएसपीएल पर एक करोड़ रुपये जुर्माना और इसके प्रबंधन निदेशक पवन कुमार आहलूवालिया को तीन साल की सजा सुनाई गई है. पवन कुमार पर 30 लाख का जुर्माना लगाया गया है.
इनपर आपराधिक साजिश तथा भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे और कोर्ट ने सभी को दोषी करार दिया था. इस मामले में सुनवाई का सामना कर रहे चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित गोयल को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया.
अदालत मध्य प्रदेश में तेसगोरा-बी रुद्रपुरी कोयला ब्लॉक को केएसएसपीएल को दिए जाने के मामले में अनियमितता बरतने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया था कि केएसएसपीएल की ओर से कोयला ब्लॉक के लिए दायर किया गया आवेदन अधूरा था और जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप न होने के कारण इसे मंत्रालय की ओर से खारिज कर दिया जाना चाहिए था.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपनी नेट वर्थ और मौजूदा क्षमता को गलत बताया था. सीबीआई ने कहा कि राज्य सरकार ने भी कंपनी को कोई कोयला ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश नहीं की थी. हालांकि सुनवाई के दौरान आरोपियों ने आरोपों को गलत बताया. अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में आरोप तय करते हुए कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गुप्ता ने अंधेरे में रखा था और कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में गुप्ता ने प्रथम दृष्ट्या कानून एवं उनपर जताए गए विश्वास का उल्लंघन किया. गुप्ता के खिलाफ लगभग आठ अलग-अलग आरोपपत्र दायर किए गए हैं और इनपर अलग-अलग कार्यवाही चल रही है. उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में इन सभी मामलों में संयुक्त सुनवाई की मांग करने वली याचिका को खारिज कर दिया था.
इनपर आपराधिक साजिश तथा भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे और कोर्ट ने सभी को दोषी करार दिया था. इस मामले में सुनवाई का सामना कर रहे चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित गोयल को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया.
अदालत मध्य प्रदेश में तेसगोरा-बी रुद्रपुरी कोयला ब्लॉक को केएसएसपीएल को दिए जाने के मामले में अनियमितता बरतने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया था कि केएसएसपीएल की ओर से कोयला ब्लॉक के लिए दायर किया गया आवेदन अधूरा था और जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप न होने के कारण इसे मंत्रालय की ओर से खारिज कर दिया जाना चाहिए था.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपनी नेट वर्थ और मौजूदा क्षमता को गलत बताया था. सीबीआई ने कहा कि राज्य सरकार ने भी कंपनी को कोई कोयला ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश नहीं की थी. हालांकि सुनवाई के दौरान आरोपियों ने आरोपों को गलत बताया. अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में आरोप तय करते हुए कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गुप्ता ने अंधेरे में रखा था और कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में गुप्ता ने प्रथम दृष्ट्या कानून एवं उनपर जताए गए विश्वास का उल्लंघन किया. गुप्ता के खिलाफ लगभग आठ अलग-अलग आरोपपत्र दायर किए गए हैं और इनपर अलग-अलग कार्यवाही चल रही है. उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में इन सभी मामलों में संयुक्त सुनवाई की मांग करने वली याचिका को खारिज कर दिया था.
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