यह ख़बर 09 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कावेरी विवाद : तमिलनाडु करेगा कर्नाटक पर मुकदमा

खास बातें

  • कावेरी का पानी तमिलनाडु को देना बंद करने के कर्नाटक के फैसले पर तमिलनाडु सरकार ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कर्नाटक के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा दायर करने का निर्णय लिया है।
चेन्नई:

कावेरी का पानी तमिलनाडु को देना बंद करने के कर्नाटक के फैसले पर तमिलनाडु सरकार ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कर्नाटक के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा दायर करने का निर्णय लिया है। वहीं विपक्षी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने प्रधानमंत्री से कहा है कि वह कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को बर्खास्त करने का फैसला लें।

तमिलनाडु की ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) सरकार ने मंगलवार को कहा कि कर्नाटक ने यदि कावेरी के पानी की आपूर्ति रोकी तो वह सर्वोच्च न्यायालय में उसके खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा दायर करेगी।

यह फैसला मुख्यमंत्री जे. जयललिता की अध्यक्षता में स्थिति की समीक्षा के लिए बुलाई बैठक में लिया गया।   

इस बीच, डीएमके अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने यहां जारी एक बयान में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से आग्रह किया कि वह संविधान की धारा 356 का उपयोग करते हुए कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लागू करने पर विचार करें। उन्होंने कर्नाटक से कावेरी का पानी तमिलनाडु को जारी करना बंद करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखने पर विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की आलोचना की।

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि ने मंगलवार को कहा, "जो व्यक्ति केंद्रीय मंत्रालय में हो, उसे दो राज्यों के मामले में निष्पक्ष रहना चाहिए। राजनीतिक कारणों से संकीर्णतापूर्ण कार्य करना गलत है।"

कावेरी नदी प्राधिकरण (सीआरए) के अध्यक्ष के रूप में मनमोहन सिंह के 19 सितम्बर के आदेश कि कर्नाटक कावेरी का 9,000 क्यूसेक पानी रोजाना तमिलनाडु को जारी करे, का हवाला देते हुए करुणानिधि ने कहा कि कृष्णा का प्रधानमंत्री को यह अनुरोध करते हुए पत्र लिखना गलत था कि पानी जारी किया जाना रोक दिया जाए।

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कृष्णा ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया था कि कर्नाटक के बांधों से पानी जारी करना बंद करने की संभावनाओं का पता लगाया जाए। उन्होंने लिखा, "मैं ईमानदारी से महसूस करता हूं कि स्थिति पर आपका ध्यान तुरंत आकृष्ट करने की जरूरत है, ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जाए, क्योंकि कर्नाटक के लोगों के मन में यह धारणा पहले से बनी हुई है कि आने वाले महीनों में उन्हें भारी जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है।"