जंतर-मंतर पर गूंजा नारा- 'भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस लो'

नई दिल्ली:

कभी लोकपाल बिल पर आंदोलन कर दिल्ली का आसन हिला देने अण्णा हज़ारे ने अब ज़मीन अधिग्रहण कानून के ख़िलाफ़ बिगुल फूंक दिया है।

सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर दो दिन का उनका आंदोलन शुरू हो गया। आंदोलन में कई जन संगठनों के लोग शामिल हैं और बाहर से आए किसान भी। कई संगठनों के कार्यकर्ता और किसान यहां अपना विरोध दर्ज कराने पहुंचे। कुछ तो अपने साथ ढोल-नगाड़े भी लेकर आए।

अण्णा ने मौजूदा वक़्त को अंग्रेज़ों के वक़्त से भी बुरा बताया। उन्होंने कहा कि सरकार बहरी है, दिल्ली में 3 सीटें आने की क्या वजह रही ये सरकार को सोचना चाहिए। अण्णा ने कहा कि 4 महीने बाद बड़ा आंदोलन होगा और अनशन नहीं करूंगा। अबकी बार जेल भरो आंदोलन होगा।

राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, यूपी और मध्य प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से किसान यहां पहुंचे। सबकी अपनी-अपनी समस्याएं हैं। कोई जमीन के मुआवज़े को लेकर परेशान है, तो कोई ज़मीन छिनने के डर से दहशत में है। कहीं भू-माफ़िया ने आतंकित कर रखा है। महिलाएं भी इस आंदोलन में बराबरी से शिरकत करतीं नज़र आईं, उनका साफ़ कहना था कि मर जाएंगे, लेकिन ज़मीन नहीं देंगे।

मंच पर अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधि आकर अपनी बात रखते रहे और अण्णा लगातार मंच पर बने रहे। सबकी एक ही मांग है, भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस ले सरकार। मेधा पाटकर भी कुछ देर के लिए यहां पहुंची। किसानों की लड़ाई पहले से लड़ती रहीं हैं मेधा। किसानों का बड़ा हुजूम बड़ी उम्मीदों के साथ यहां आया है। चित्रकूट के हरिशचंद्र तो नंगे पाव ही जंतर-मंतर पहुंचे।

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर पहले ही आलोचनाओं से घिरी सरकार की मुश्किलें अण्णा के इस आंदोलन ने और बढ़ा दी हैं। जगज़ाहिर है कि अण्णा के पिछले आंदोलनों का नतीजा क्या रहा है। ऐसे में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर सरकार की राह आसान नहीं रहने वाली है, तो जंतर-मंतर से उठ रहीं, ये आवाज़ें संसद तक भी पहुंच रही होंगी।

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