
सीएजी ने कहा है कि जिस रपट के आधार पर यह खबर बनाई गई है वह उसकी ‘अंतिम रपट से पहले बनाई जाने वाली रपट का मसौदा भी नहीं है।
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नई दिल्ली:
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि उसकी एक लेखापरीक्षा रपट के हवाले से कोयला खानों के आवंटन के लिए नीलामी न करने के कारण सरकारी खजाने को 10.76 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की मीडिया रपट ‘बेहतद भ्रामक’ है।
सीएजी ने कहा है कि जिस रपट के आधार पर यह खबर बनाई गई है वह उसकी ‘अंतिम रपट से पहले बनाई जाने वाली रपट का मसौदा भी नहीं है।’ खबर आने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति जारी की जिसमें कैग की ओर से आज ही दोपहर को भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया गया है जिसमें कैग ने स्पष्ट किया है कि ‘मौजूदा मामले में जो ब्यौरे सामने आए हैं वे कुछ टिप्पणियां हैं जिन पर अभी बेहद शुरुआती दौर की चर्चा हो रही है। यह रपट हमारी अंतिम रपट के पहले की रपट का मसौदे भी नहीं कही जा सकती।’ कैग ने इस पर आधारित मीडिया की रपटों को ‘अति भ्रामक’ करार दिया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार कैग ने अपने पत्र में कहा है कि रिपोर्ट तैयार करने के सिलसिले में कोयला मंत्रालय के साथ नौ फरवरी 2012, और तीन मार्च 2012 को हुई बैठकों के बाद हमने अपनी सोच बदली है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति में इस पत्र के हवाले से कहा गया है ‘दरअसल हमारा यह मानना भी नहीं है कि आवंटियों को अनायास जो फायदा हुआ है वह सरकारी खजाने के नुकसान के समान है। आरंभिक मसौदे के लीक होने से शर्मिंदगी की हालत पैदा हुई है क्योंकि लेखापरीक्षा रपट अभी तैयार की जा रही है। इस तरह की रपटों का लीक होना पीड़ादायक है होता है।’
सीएजी ने कहा है कि जिस रपट के आधार पर यह खबर बनाई गई है वह उसकी ‘अंतिम रपट से पहले बनाई जाने वाली रपट का मसौदा भी नहीं है।’ खबर आने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति जारी की जिसमें कैग की ओर से आज ही दोपहर को भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया गया है जिसमें कैग ने स्पष्ट किया है कि ‘मौजूदा मामले में जो ब्यौरे सामने आए हैं वे कुछ टिप्पणियां हैं जिन पर अभी बेहद शुरुआती दौर की चर्चा हो रही है। यह रपट हमारी अंतिम रपट के पहले की रपट का मसौदे भी नहीं कही जा सकती।’ कैग ने इस पर आधारित मीडिया की रपटों को ‘अति भ्रामक’ करार दिया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार कैग ने अपने पत्र में कहा है कि रिपोर्ट तैयार करने के सिलसिले में कोयला मंत्रालय के साथ नौ फरवरी 2012, और तीन मार्च 2012 को हुई बैठकों के बाद हमने अपनी सोच बदली है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति में इस पत्र के हवाले से कहा गया है ‘दरअसल हमारा यह मानना भी नहीं है कि आवंटियों को अनायास जो फायदा हुआ है वह सरकारी खजाने के नुकसान के समान है। आरंभिक मसौदे के लीक होने से शर्मिंदगी की हालत पैदा हुई है क्योंकि लेखापरीक्षा रपट अभी तैयार की जा रही है। इस तरह की रपटों का लीक होना पीड़ादायक है होता है।’
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