भारतीय वायुसेना का परिवहन विमान सी-17 बुधवार को जिबूती से मुंबई के लिए अंतिम उड़ान भरेगा। पिछले एक हफ्ते से 'ऑपरेशन राहत' के तहत भारतीय वायुसेना के विमान गोलाबारी में फंसे भारतीय लोगों को यमन से निकाल रहे है। वैसे तो वायुसेना के पास ऐसे दस विमान हैं पर इस ऑपरेशन में तीन विमान लगे हुए है।
युद्द जैसे हालात होने की वजह से यमन की राजधानी सना के एयरपोर्ट पर कोई मिलेट्री विमान उतरने की इजाजत नहीं है, इसी वजह से वायुसेना के विमान यमन के पड़ोसी देश जिबूती से दिन-रात उड़ान भर रहे हैं। सी-17 विमान के कमांडिग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन बी.एस. रेड्डी ने कहा कि ये ऑपरेशन बहुत चुनौतियों से भरा है। पहली बार एक हफ्ते के भीतर 150 घंटे उड़ान भरनी पड़ी है, कई बार दिक्कत ऐसी आ जाती है कि उसके समाधान के लिए सी-17 को उसके बेस हिंडन, गाजियाबाद आना पड़ता है, तभी ये ठीक हो पाता है।
आम लोगों को इस बात का पता शायद ही होता होगा कि उड़ान भरने से पहले कई घंटे सपोर्ट स्टाफ जहाज को तैयार करते हैं तभी ये उड़ान भर पाता है। जब एनडीटीवी इंडिया ने ये पूछा कि क्या जंग जैसे हालात वाली जगह पर उड़ान भरने से पहले कोई खास तैयारी करनी होती है, तो स्क्वाड्रन लीडर सी सिवाच कहते है कि हम ऐसे ही हलात के लिए तैयार किए गए हैं। क्या आप भूल गए सुनामी और बाढ़ में हमारे साथी पायलट जान की परवाह ना कर लोगों की मदद कर रहे थे।
बात को आगे बढ़ाते हुए सी-17 के साथी पायलट स्क्वाड्रन लीडर प्रतीक तोमर कहते हैं, हमने अपने जहाज के कॉकपिट पर आरर्मड लेयर की है, ताकि छोटे हमले होने पर इस पर कोई असर ना हो। ऐसी मिसाइल सिस्टम लगाई गई है, जो हमला होने के पहले चेतावनी दे और विमान रास्ता बदल लें। इन्ही सबका का नतीजा है कि अकेले सी-17 अब तक करीब डेढ़ हजार लोगों को मौत की मुंह से बाहर निकाल चुका है।
इसका इन्हें गर्व भी है तभी तो ग्रुप कैप्टन रेड्डी कहते है जब हमारा विमान जिबूती लैंड करता है या फिर उड़ान भरता है तो लोग जय हिंद के नारे लगाते है तो सीना फक्र से चौड़ा हो जाता है।
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