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This Article is From Dec 10, 2018

बुलंदशहर हिंसा: गोकशी के आरोप में गिरफ्तारी पर उठे सवाल, जिनके नाम FIR में नहीं उन्हें किया अरेस्ट

गोकशी के मामले में पुलिस ने दो ऐसे लोगों को अरेस्ट किया है, जिनका नाम एफआईआर में दर्ज है ही नहीं.

बुलंदशहर हिंसा: गोकशी के आरोप में गिरफ्तारी पर उठे सवाल, जिनके नाम FIR में नहीं उन्हें किया अरेस्ट
हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर सहित दो लोगों की मौत हो गई थी.
बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी (Bulandshahr mob violence) के शक में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक पुलिस इंस्पेक्टर सहित दो लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में दो एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. पहली एफआईआर गोकशी के मामले में करवाई गई थी, जिसमें सात लोगों पर आरोप लगाया गया था. दूसरी एफआईआर हिंसा और इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में दर्ज की गई थी, जिसमें बजरंग दल के नेता योगेश राज को मुख्य आरोपी बनाया गया था. गोकशी की एफआईआर हिंसा का मुख्य आरोपी योगेश राज ने करवाई थी. लेकिन गोकशी के मामले में पुलिस की ओर से की गई गिरफ्तारी पर कई सवाल पैदा हुए हैं. पुलिस ने इस मामले में दो ऐसे लोगों को अरेस्ट किया है, जिनका नाम एफआईआर में दर्ज है ही नहीं.

गोकशी के मामले में बुधवार सुबह पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया. सरफुद्दीन का नाम एफआईआर में था, जो गारमेंट का काम करते हैं. सरफुद्दीन के परिवार का दावा है कि जिस दिन गांव में गोवंश के अवशेष मिले थे, उस दिन वह वहां से 40 किलोमीटर दूर इज्तिमा में थे.
 
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सरफुद्दीन(बाएं)

उनके भाई मोहम्मद हुसैन का कहना है, 'वह उस दिन इज्तिमा में थे और उनकी पार्किंग में ड्यूटी लगी हुई थी. मेरे पास सबूत हैं कि वह उस दिन वहां नहीं था. उसकी जीपीएस लोकेशन ट्रैक की जा सकती है और यह जांचा जा सकता है कि वह महाव में उस दिन थे या नहीं.'

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उसके भाई ने साथ ही कहा कि योगेश और उसके पुराने संबंधों की वजह से उसका नाम आया है. हुसैन ने कहा, 'जैसे वह(योगेश) हिंदूवादी है. हम भी मुस्लिमवादी हैं. हम हमारे अधिकारों के लिए लड़ेंगे.'

पुलिस ने एफआईआर में दर्ज साजिद अली नाम के दूसरे युवक को भी गिरफ्तार किया है. साजिद गांव में नहीं रहता, उसके चाचा शब्बीर जो चाय का काम करते हैं ने बताया, 'साजिद 12 साल पहले फरीदाबाद चला गया था.' उसने बताया कि साजिद कई सालों से फरीदाबाद में सिगरेट बेच रहा है और वह इज्तिमा में आया था, लेकिन गांव नहीं आया. आखिर बार वह हमारे पास तीन महीने पहले आया था, जब मेरी मां का निधन हुआ था. सरफुद्दीन और साजिद दोनों ने मंगलवार को पुलिस के सामने सरेंडर किया था. 
 
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पुलिस ने दो ऐसे लोगों को भी गिरगफ्तार किया है, जिनका नाम एफआईआर में नहीं है. इनमें 24 साल के आसिफ जो घड़ियां ठीक करता है, वहीं मजदूरी करने वाले बन्ने खान शामिल है. परिवार ने बताया साजिद शादी के बाद अपने गांव से चार साल पहले मुंबई शिफ्ट हो गया था. उसका गांव घटनास्थल से 20 किलोमीटर दूर स्थित है. उसकी सास ने बताया, 'इज्तिमा में शामिल होने के बाद वह घर आया था, तभी पुलिस वहां पहुंची और उसने उसे उठाया और अपने साथ ले गई. वे उसका नाम तक नहीं जानते थे, किसी और ने बताया कि वह आसिफ है.'

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बन्ने खान घटनास्थल से 65 किलोमीटर दूर रहते हैं. मंगलवार रात उसे गिरफ्तार कर किया गया. उसके एक रिश्तेदार अफसर ने बताया, 'उसने प्रधान के घर पर काम खत्म किया  जब पुलिस आई तो सो रहा था.' उसके सात बच्चे हैं और परिवार में अकेले कमाने वाला है. 

पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने बताया कि सरफुद्दीन और साजिद को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उनका नाम एफआईआर में था. लेकिन वे बन्ने खान और आसिफ खान की गिरफ्तारी पर किए गए कोई भी सवाल का जवाब नहीं दे पाए.

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