Budget 2021 : इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) ने शुक्रवार को कहा कि बजट 2021-22 में सरकार को देश में समग्र मांग को बढ़ाने, खर्चों की प्राथमिकताओं का मूल्यांकन करने और ज्यादा नॉन-टैक्स रेवेन्यू जुटाने पर फोकस करना चाहिए. अभी तक, सरकार की प्राथमिकता कोविड-19 से हिट हुई इकॉनमी में सप्लाई को बढ़ाना रही है, लेकिन 'अब वक्त है कि सरकार अपना रुख बदले और मांग को बढ़ाने पर भी फोकस करे, वर्ना अर्थव्यवस्था में आई रिकवरी असर खोने लगेगी.'
Ind-Ra ने कहा कि सप्लाई के क्षेत्र में आ रही समस्याओं पर फोकस करने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि इससे टूटी हुई सप्लाई चेन को रीस्टोर करने में मदद मिली है. खासकर ऐसी अर्थव्यवस्था में जहां रोजगार और आउटपुट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों का बड़ा योगदान होता है. हालांकि, अगर उसकी तुलना में मांग भी नहीं बढ़ती है तो रिकवरी खतरे में पड़ जाएगी, यहां तक कि इससे दोबारा अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है.
यह भी पढ़ें : Budget 2021 : देश में IT हार्डवेयर उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा, 7,500 करोड़ के बजट की उम्मीद
भले ही सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से उठाए गए कई कदमों के चलते अगर सप्लाई सुधर भी जाती है तो भी सेवाओं और वस्तुओं की पर्याप्त मांग न बनी रहने पर समस्या खड़ी हो सकती है. Ind-Ra ने कहा कि इकॉनमी ने हाल ही में अच्छे संकेत दिए हैं और कई कारणों के चलते प्रोडक्शन कोविड के पहले की स्थिति में पहुंच रहा है. हालांकि, दो महीनों तक सकारात्मक ग्रोथ दिखने के बाद नवंबर, 2020 के फैक्ट्री आउटपुट में संकुचन आया है, इससे दिखता है कि रिकवरी अभी कितनी कमजोर है.
ऐसे में डिमांड को बढ़ाने के लिए कदम उठाया जाना उतना ही जरूरी है. इसके तहत इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करना होगा. सरकार अर्थव्यवस्था के पिरामिड में नीचे आने वाले वर्गों को दी जा रही राहत और सहायता जारी रख सकती है. मनरेगा में ज्यादा रोजगार दिया जा सकता है क्योंकि ग्रामीण परिवारों के साथ-साथ वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को भी मदद मिलेगी. Ind-Ra ने रियल एस्टेट को भी ज्यादा सहायता देने की वकालत की है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं