
एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव से साफ है कि नए वित्तीय साल में मोदी सरकार विनिवेश की प्रक्रिया को और तेज करना चाहती है. LIC में हिस्सेदारी बेचने का फैसला सरकार की विनिवेश की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है. इससे सरकार 2020-21 में राजस्व के नए स्रोत इकट्ठे करना चाहती है. टारगेट 2.1 लाख करोड़ का है.
एनडीटीवी से खास बातचीत में मुख्य आर्थिक सलाहकार के सुब्रमणियन ने कहा कि सरकार 2020 -2021 में विनिवेश का 2.1 लाख करोड़ का लक्ष्य हासिल कर लेगी. के सुब्रमणियन ने कहा कि एलआईसी के डिसइनवेस्टमेंट के पीछे सरकार की सोच ये है कि प्राइवेट सेक्टर के पार्टिसिपेशन से एफीशियेन्सी बढ़ेगी. लिस्टिंग से गवर्नेंस भी बढ़ती है... इससे मार्केट को भी मैसेज जाएगा. इसमें रिटेल इन्वेस्टर्स का भी पार्टिसिपेशन आएगा... 2020-2021 में हमारा टारगेट 2.1 लाख करोड़ का है. टारगेट मीट होना चाहिए.
उधर विपक्ष ने सरकार की कोशिश पर कड़ा ऐतराज जताया है. तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रयान ने कहा कि वे परिवार का रत्न बेच रहे हैं. एलआईसी को बेचकर राज्यों को उनके बकाया जीएसटी का पेमेंट किया जाएगा.
अब देखना होगा कि आर्थिक मंदी से अर्थव्यवस्था को उबारने में जुटीं वित्त मंत्री नए वित्तीय साल में इस टारगेट को हासिल करने में कितना कामयाब हो पाती हैं.
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