Budget 2019: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया (Transparency International India) ने एक फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट से पूर्व राज्यों के बजट में पारदर्शिता को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट ने राज्यों में बजट बनाने के तौर-तरीकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.बजट में दो चीजें सबसे जरूरी हैं, एक पारदर्शिता और दूसरी जनभागीदारी. मगर संस्था की 31 जनवरी की शाम को जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकांश राज्य इस मानक पर खरे नहीं उतरे हैं. चौंकाने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों का प्रदर्शन भी संतोषजनक नहीं है. जबकि इन राज्यों की अर्थव्यवस्था से देश की अर्थव्यवस्था गहराई से जुड़ी हुई है. रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि इन राज्यों में बजट बनाने में जरूरी पारदर्शिता का ख्याल नहीं किया जाता है. जबकि असम जैसे छोटे राज्य ने इस दिशा में बाजी मारी है. ट्रांसपरेंसी इंडिया इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर के देशों के बजट को पारदर्शिता के पैमाने पर ओपन बजट सर्वे में आंकने की व्यवस्था है. 2017 के सर्वे में भारत का 115 देशों में 53 वां स्थान रहा. इस संस्था ने भारत को बजट पारदर्शिता में 100 में 48 और बजट में जन सहभागिता पर 100 में 15 जबकि बजट निरीक्षण में 48 वां स्थान दिया था.
इसी संस्था ने यह सुझाव भी दिया गया था, कि पारदर्शिता के लिए बजट से पहले विवरणों को सार्वजनिक किया जाए, इसकी छमाही समीक्षा भी हो. साथ ही बजट की तैयारी में जन सहभागिता के लिए तंत्र को तैयार करने पर जोर दिया जाए. ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया ने बजट की पूर्व संध्या पर जारी इस रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों की बजट में कितनी पारदर्शिता है, इसकी समीक्षा की है. संस्था ने कहा है कि देश का दुर्भाग्य है कि देश में केंद्रीय बजट के अलावा राज्य बजटो को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई केवल केंद्रीय बजट को ही प्राथमिकता दी गई और प्रत्येक वर्ष संसद में केवल यह ही मजबूत चर्चा एवं निरीक्षण का विषय रहा है. वही दूसरी तरफ बगैर किसी सामाजिक चर्चा के राज्य सरकारों द्वारा भारतीय राज्यों में बजट प्रस्तुत होते रहे है. नतीजन, कम पारदर्शी बजट राज्य सरकारें तैयार करतीं रहीं.
संस्था के चेयरमैन एसआर वाधवा एनडीटीवी से कहते हैं- प्रमुख योजनाओ को लागू करने का भार भारतीय राज्य सरकारों पर ही है. “बजट और राजकोष के सन्दर्भ में राज्य सरकारों द्वारा लिए गए निर्णय में नागरिको को प्रभावित करने की क्षमता केंद्र के बजाए ज्यादा होती है. राज्य सरकारों का खर्चं, केंद्र सरकार से ही कही ज्यादा है. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि राज्य सरकारें अपने बजट को प्राथमिकता दें. सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे नागरिकों के सुझावों और आपत्तियों को ग्रहण कर ही जनहित का बजट तैयार करें. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आरएन झा ने एनडीटीवी को बताया- ज्यादातर राज्यों के बजट से जुड़े दस्तावेज पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं हैं, फिर भी संस्था की टीम ने बहुत मेहनत के साथ चार प्रमुख कैटेगरी में राज्यों के बजट की जांच-परख की. केंद्र सरकार के बजट को मानक बनाकर हमने राज्यों के बजट को प्वॉइंट दिए हैं. मकसद है कि राज्यों के बजट में पारदर्शिता के साथ जनभागीदारी बढ़े. ताकि अच्छा बजट तैयार हो.
देश के 29 राज्यों में असम इकलौता राज्य है जो बजट बनाने से पहले जगह-जगह कैंप लगाकर जागरूकता कार्यक्रम करता है, जिससे इस राज्य का बजट नागरिक बजट बन पाता है. हिमाचल, ओडिशा और बिहार की सरकार भी बजट तैयार करते समय नागरिकों से भी सुझाव मांगतीं हैं. ओडिशा ने जनता से सुझावों के लिए व्हाट्सअप, पत्र और ईमेल का इस्तेमाल किया है. जनता व्हाट्सअप और ईमेल से सुझाव देना पसंद कर रही है. आंध्र प्रदेश, अरुणांचल, हिमाचल, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित पुडुचेरी ने बजट के लिए अलग से वेबसाइट बनाई है. हिमाचल प्रदेश ने नागरिक मोबाइल ऐप का उपयोग किया है. असम और झारखंड की सरकार बजट पर लिए गए निर्णय संबंधी रिपोर्ट भी जारी करती है. ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश ने राजकोषीय़ और वित्तीय संबंधी वेबसाइट बनाई है. जो राज्य की संपूर्ण जानकारी रखती है. ट्रांसपरेंसी इंटरनेशन इंडिया ने केंद्र सरकार के बजट को कुल सौ में 75 अंक दिए हैं. इसी के आधार पर सभी राज्यों की रैकिंग जारी की है.
असम ऐसा राज्य है, जो सर्वाधिक पारदर्शी बजट बनाता है. ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया ने 70 प्वॉइंट के साथ टॉप 5 स्टेट की सूची में असम को पहला स्थान दिया है. जबकि 67 प्वॉइंट के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे, ओडिशा 66 प्वॉइंट के साथ तीसरे, झारखंड(60) और 59 अंकों के साथ बिहार पांचवे स्थान पर है. संस्था ने सबसे कम पारदर्शी बजट वाले पांच राज्यों की भी सूची तैयार की है. इसमें 21 अंकों के साथ मेघालय के बजट को सबसे कम पारदर्शी बताया गया है. मणिपुर को 24 प्वॉइंट, 30 प्वॉइंट के साथ पंजाब तीसरे स्थान पर, 38 प्वॉइंट के साथ महाराष्ट्र चौथे और 45 प्वॉइंट के साथ गोवा पांचवे स्थान पर है.
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