
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन काफी चर्चा में है, क्योंकि उन्हें अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से ही गंवानी पड़ी थी।
जमीन घोटाले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था और अवैध खनन के मामले में सीबीआई की एक विशेष अदालत में सुनवाई चल रही है। ऐसे में जब येदियुरप्पा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो जाहिर है इसकी चर्चा तो होगी ही।
येदियुरप्पा भ्रष्टाचार विरोधी अपने मोर्चे को राजभवन तक ले जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीजेपी के दूसरे नेताओं के साथ विधानसभा परिसर में ही हिरासत में ले लिया। येदियुरप्पा के नेतृत्व में निकले बीजेपी के विधायकों और सांसदों के इस मोर्चे की मांग है कि सिद्धारमैय्या सरकार में शामिल चार मंत्रियों को फौरन बर्खास्त किया जाए।
उनके मुताबिक राज्य के गृहमंत्री केजी जॉर्ज, खाद्य आपूर्ति मंत्री दिनेश गुंडुराव, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कमरूल इस्लाम और सहकारिता मंत्री महादेव प्रसाद पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, इसलिए उन्हें मंत्रिमंडल में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
हालांकि अवैध खनन में लोकायुक्त संतोष हेगड़े की रिपोर्ट और जमीन घोटाले में नाम आने के बाद तब की विपक्षी दल कांग्रेस ने येदियुरप्पा से इस्तीफे की मांग की थी, तो उनका कहना था कि जब तक अदालत दोषी नहीं ठहराती, तब तक उन्हें दोषी नहीं माना जा सकता और इसलिए वह इस्तीफा नहीं देंगे। लेकिन जब बीजेपी पर दबाव बढ़ा, तो पार्टी आलाकमान ने जैसे-तैसे उनसे इस्तीफा ले लिया।
उसके बाद नाराज येदियुरप्पा ने पार्टी छोड़कर नई पार्टी कर्नाटक जनता पार्टी के नाम से बनाई थी। बाद में जब बीजेपी में नरेंद्र मोदी का प्रभाव बढ़ा, तो तो येदियुरप्पा की बीजेपी में वापसी हो गई। आज वही येदियुरप्पा भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजा रहे हैं, तो सुनने वालों के लिए इसे गंभीरता से लेना इतना सहज नहीं है।
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