लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी को मरणोपरांत अशोक चक्र प्रदान किया गया है।
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में 11 दिनों के अंतराल में 10 आतंकियों को मौत के घाट उतारने वाले लांसनायक मोहन नाथ गोस्वामी (मरणोपरांत) को शांतिकाल के देश के सर्वोच्च सैन्य अवॉर्ड अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। देश के 67वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लांसनायक गोस्वामी की विधवा भावना गोस्वामी को यह सम्मान प्रदान किया।
कुपवाड़ा में हुई थी आतंकियों से मुठभेड़
2 सितंबर 2015 को लांसनायक गोस्वामी की कुपवाड़ा जिले के हाफरुदा जंगल में छुपे आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। दोनों पक्षों के बीच हुई गोलीबारी में लांस नायक गोस्वामी के दो साथी जवान घायल हो गए। उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए खुद घायल होने के बावजूद अपने साथियों की जान बचाई। भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा का पालन करते हुए लांसनायक गोस्वामी ने अपनी चोटों की परवाह नहीं करते हुए देश के लिए जान न्योच्छावर कर दी।
उत्तराखंड से थे लांस नायक गोस्वामी
लांसनायक गोस्वामी उत्तराखंड से थे और उनके परिवार में पत्नी और सात साल की बेटी है। गौरतलब है कि शांति के समय में प्रदान किए जाने वाला अशोक चक्र अवॉर्ड जंग के मोर्चे पर प्रदान किए जाने वाले सम्मान परमवीर चक्र के समकक्ष माना जाता है।
कुपवाड़ा में हुई थी आतंकियों से मुठभेड़
2 सितंबर 2015 को लांसनायक गोस्वामी की कुपवाड़ा जिले के हाफरुदा जंगल में छुपे आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। दोनों पक्षों के बीच हुई गोलीबारी में लांस नायक गोस्वामी के दो साथी जवान घायल हो गए। उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए खुद घायल होने के बावजूद अपने साथियों की जान बचाई। भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा का पालन करते हुए लांसनायक गोस्वामी ने अपनी चोटों की परवाह नहीं करते हुए देश के लिए जान न्योच्छावर कर दी।
उत्तराखंड से थे लांस नायक गोस्वामी
लांसनायक गोस्वामी उत्तराखंड से थे और उनके परिवार में पत्नी और सात साल की बेटी है। गौरतलब है कि शांति के समय में प्रदान किए जाने वाला अशोक चक्र अवॉर्ड जंग के मोर्चे पर प्रदान किए जाने वाले सम्मान परमवीर चक्र के समकक्ष माना जाता है।
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