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This Article is From Dec 29, 2019

बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के प्रमुख ने NRC को भारत का आंतरिक मामला बताया

सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बताया कि इस्लाम की अगुवाई में BGB का एक शिष्टमंडल अपने समकक्षों से महानिदेशक स्तर की सीमा वार्ता के भारत के दौरे पर है. NRC मुद्दे पर टिप्पणी मांगे जाने पर उन्होंने कहा, 'यह पूरी तरह भारत सरकार का आंतरिक मामला है.'

बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के प्रमुख ने NRC को भारत का आंतरिक मामला बताया
CAA और NRC को लेकर इन दिनों भारत में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं
नई दिल्ली:

बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (BGB) के प्रमुख ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह भारत सरकार का 'आंतरिक मामला' है और दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय है. BGB के महानिदेशक मेजर जनरल शफीनुल इस्लाम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बल भारत में अवैध लोगों के प्रवेश को रोकना जारी रखेगा. वहीं सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बताया कि इस्लाम की अगुवाई में BGB का एक शिष्टमंडल अपने समकक्षों से महानिदेशक स्तर की सीमा वार्ता के भारत के दौरे पर है. NRC मुद्दे पर टिप्पणी मांगे जाने पर उन्होंने कहा, 'यह पूरी तरह भारत सरकार का आंतरिक मामला है.'

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बता दें, भारत में इन दिनों नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हालांकि भारी विरोध के बाद भी केंद्र सरकार अपने कदम से पीछे हटती हुई नजर नहीं आ रही है.  इसके साथ ही आपको बताते चलें कि एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं. जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नाम नहीं होता उसे अवैध नागरिक माना जाता है. देश में असम इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है. इसके अलावा NRC को लागू करने का मुख्य उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है. इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी. इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया.

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इसके साथ ही रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं. आपको बता दें कि वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे के बाद कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी जमीन असम में थी और लोगों का दोनों ओर से आना-जाना बंटवारे के बाद भी जारी रहा. इसके बाद 1951 में पहली बार एनआरसी के डाटा का अपटेड किया गया. इसके बाद भी भारत में घुसपैठ लगातार जारी रही. असम में वर्ष 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद भारी संख्‍या में शरणार्थियों का पहुंचना जारी रहा और इससे राज्‍य की आबादी का स्‍वरूप बदलने लगा.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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