'मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाओ', जानिए- कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद की 10 बड़ी बातें

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहा एक दशक पुराना सीमा विवाद बुधवार को तब फिर से राजनीतिक कलह और दावे-प्रतिदावे में तब्दील हो गया, जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा कि जब तक दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक विवादित हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाना चाहिए.

'मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाओ', जानिए- कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद की 10 बड़ी बातें

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद 1956 के राज्य पुनर्गठन के बाद से ही चला आ रहा है.

नई दिल्ली: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहा एक दशक पुराना सीमा विवाद बुधवार को तब फिर से राजनीतिक कलह और दावे-प्रतिदावे में तब्दील हो गया, जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा कि जब तक दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक विवादित हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाना चाहिए. उनके इस बयान के बाद कर्नाटक के तरफ से भी नया दावा ठोका गया. कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने कहा कि मुंबई को कर्नाटक में शामिल किया जाना चाहिए और नहीं तो कम से कम उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाना चाहिए.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. कर्नाटक के डिप्टी सीएम सावदी ने कहा, "हम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के बयान की निंदा करते हैं. हमें विश्वास है कि चीजें सर्वोच्च न्यायालय में हमारे पक्ष में होंगी." सावदी ने कहा किहमारे क्षेत्र के लोगों की मांग है कि हम भी मुंबई-कर्नाटक (क्षेत्र) का हिस्सा रहे हैं, इसलिए हमारा भी मुंबई पर अधिकार है.

  2. सावदी ने कहा, "जब तक मुंबई कर्नाटक का हिस्सा नहीं बन जाता तब तक मैं केंद्र सरकार से गुजारिश करूंगा कि इसे (मंबई को) केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाय, जैसा कि 1967 की महाजन आयोग की रिपोर्ट- जिसे तत्कालीन कर्नाटक द्वारा स्वागत किया गया था, में कहा गया है." 

  3. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि उनके राज्य की सीमा से लगते कर्नाटक के मराठी भाषी बहुल इलाकों को मामले पर उच्चतम न्यायालय का अंतिम फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए.

  4. दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर लिखी किताब का विमोचन करने के मौके पर उद्धव ठाकरे ने कर्नाटक सरकार की उन इलाकों में रह रहे मराठी भाषी आबादी पर कथित अत्याचार को लेकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि इन इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने के मामले में जीतने के लिए लड़ने की जरूरत है.

  5. महाराष्ट्र बेलगाम, करवार और निप्पनी सहित कर्नाटक के कई हिस्सों पर दावा करता है, उसका तर्क है कि इन में बहुमत आबादी मराठी भाषी है. यह मामला कई वर्षों से उच्चतम न्यायालय में लंबित है. उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘जब मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में चल रही है, कर्नाटक ने बेलगाम का नाम बदलकर उसे अपनी दूसरी राजधानी घोषित कर दी और वहां विधानमंडल की इमारत का निर्माण किया और वहां विधानमंडल का सत्र आयोजित किया.''

  6. ठाकरे ने कहा, ‘‘यह अदालत की अवमानना है.''उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘कर्नाटक द्वारा कब्जा किए गए मराठी भाषी इलाकों को उच्चतम न्यायालय का अंतिम फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए.'' उन्होंने कहा, ‘‘ हमने पिछले अनुभवों से सीखा है और जीतने के लिए लड़ेंगे. कर्नाटक द्वारा कब्जा किए गए मराठी भाषी इलाके महाराष्ट्र में शामिल होंगे.''

  7. मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र एकीकरण समिति(एमईएस) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि स्वार्थपरक राजनीतिक फायदे के लिए मराठी के मुद्दों को कमजोर कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘पहले, एमईएस के आधे दर्जन विधायक जीते, बेलगाम का महापौर मराठी भाषी है. शिवसेना कभी बेलगाम की राजनीति में नहीं घुसी क्योंकि वह एमईएस को कमजोर नहीं करना चाहती थी.''

  8. महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ महा विकास अघाडी (एमवीए) बनाकर 2019 में सरकार बनाने वाली शिवसेना के मुखिया ने कहा कि कानूनी लड़ाई को समयबद्ध तरीके से जीतने की योजना बनाने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कर्नाटक में मराठी भाषी जनता और नेता एकजुट हों. उन्होंने कहा, ‘‘हम शपथ लें कि जबतक जीतेंगे नहीं आराम नहीं करेंगे. अगर लंबित मुद्दे इस सरकार (एमवीए की) के कार्यकाल में नहीं सुलझे तो कभी नहीं सुलझेंगे.''उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘कर्नाटक में किसी भी पार्टी की सरकार या मुख्यमंत्री हो, उनकी एक समानता होती है और वह है मराठी लोगों और भाषा पर अत्याचार.''

  9. राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने इस मौके पर कहा कि जब महाराष्ट्र के नेता सेनापति बापट ने भूख हड़ताल शुरू की तो केंद्र द्वारा 1960 के दशक में मामले के अध्ययन एवं निष्कर्ष के लिए महाजन आयोग की स्थापना की गई. पवार ने कहा, ‘‘तब के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक ने आयोग को स्वीकार किया और इस बात पर सहमत हुए कि आयोग का निष्कर्ष राज्य के लिए बाध्यकारी होगा लेकिन आयोग की रिपोर्ट शत प्रतिशत महाराष्ट्र के खिलाफ रही.''

  10. उन्होंने कहा, ‘‘हमने (महाराष्ट्र) आयोग के निष्कर्षों को अस्वीकार कर दिया. बैरिस्टर एआर अंतुले, पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी किताब में महाजन आयोग की रिपोर्ट अस्वीकार करने के बारे में लिखा है. इस किताब में (विमोचन किया गया) भी उसका उल्लेख मिलता है.'' पवार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय, राज्य के लिए आखिरी हथियार है और महाराष्ट्र को इस मुकदमे में जीत के लिए सभी कानूनों विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए.''उन्होंने कहा, ‘‘हमें लड़ना होगा. कोई दूसरा विकल्प नहीं है. यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री ठाकरे इस दिशा में नेतृत्व कर रहे हैं. महाराष्ट्र को अपने राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर इस मामले में एकजुटता दिखाने की जरूरत है.'' (भाषा इनपुट्स के साथ)