फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई की रणभूमि सियाचिन में हिमस्खलन में जिंदा दफन हो गए नौ बहादुर सैनिकों के पार्थिव शरीर कल यहां लाए जाने की संभावना है।
मौसम ठीक रहने पर ही पार्थिव शरीर लाए जाएंगे दिल्ली
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि खारदुंग ला का मौसम बिल्कुल खराब है और इन सैनिकों के पार्थिव शरीर लेह लाने की सभी कोशिशें की जा रही हैं। यदि मौसम ठीक रहा तो भी शव कल से पहले राष्ट्रीय राजधानी नहीं लाये जा सकते। यहां श्रद्धांजलि कार्यक्रम होने की संभावना है। अधिकारी ने कहा, 'इन पार्थिव शरीरों को बंगलुरु, चेन्नई, त्रिवेंद्रम, मदुरै, पुणे, हैदराबाद पहुंचाए जाने की योजना है।' कल हेलीकॉप्टरों से इन नौ सैनिकों के पार्थिव शरीर सियाचिन ग्लेशियर से सियाचिन बेस कैंप लाए गए थे।
9 फरवरी को बरामद हुए थे सैनिकों के शव
मद्रास रेजीमेंट के एक जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी और नौ अन्य सैनिक तीन फरवरी को हिमस्खलन में जिंदा दफन हो गए थे। वैसे तो लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ को बड़े चमत्कारिक ढंग से जिंदा निकाला गया था, लेकिन नौ अन्य के शव नौ फरवरी को बरामद हुए।
सूबेदार नागेश टीटी, जो 22 साल की सेवा में 12 साल दुर्गम क्षेत्रों में रहे
उनमें एक सूबेदार नागेश टीटी थे जो जिंदादिल और शारीरिक रूप से फिट जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी (जेसीओ) थे। वह अपनी 22 साल की सेवा में 12 साल दुर्गम क्षेत्रों में रहे। उन्होंने 'ऑपरेशन पराक्रम' में हिस्सा लिया था। नागेश ने जम्मू-कश्मीर के मेंढर में दो सालों तक ऑपरेशन रक्षक में भाग लिया था, जहां वह आतंकवाद निरोधक अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे। उन्होंने अपनी इच्छा से जम्मू-कश्मीर में दो सालों तक राष्ट्रीय राईफल्स के साथ काम किया। इन जेसीओ ने तीन सालों तक एनएसजी कमांडो के रूप में अपनी सेवा दी। बाद में वह 'ऑपरेशन रिन्हो' में शामिल होने के लिए वर्ष 2009 से 2012 तक के लिए पूर्वोत्तर गए थे जहां वह घातक प्लाटून के जेसीओ के रूप में उग्रवादियों के खिलाफ कई सफल अभियानों का हिस्सा रहे। उनके साथी उन्हें रैंबो के रूप में याद करते हैं जो अपने हथियार एवं जरूरी चीजों के अलावा दूसरों के हथियार एवं बोझ भी उठाते थे। वह बहुत ही साहसी थे और उन्होंने उत्कृष्ट ग्रेड से पैरा मोटर कोर्स भी किया था। उनके परिवार में पत्नी आशा और दो बेटे अमित टीएन (6) और प्रीतम टीन (4) के हैं।
ज्यादातर सैनिक दक्षिण भारत के थे
हिमस्खलन में मारे गए अन्य सैनिकों में तमिलनाडु के वल्लूर जिले के पराई गांव के हवलदार एलूमलाई एम, तमिलनाडु के ही थेनी जिले के थोझू गांव के लांस हवलदार एस कुमार, केरल के कोल्लाम जिले के मोनरोथुरुथ गांव के लांस नायक सुधीश और कर्नाटक के मैसूर जिले के एचडी कोटे गांव के सिपाही महेश पीएन शामिल हैं।
तमिलनाडु के मदुरै जिले के चोक्काथेवन पट्टी गांव के सिपाही गणेशन, तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले के गुडिसताना पल्ली गांव के सिपाही रामा मूर्ति, आंध्रप्रदेश के कुरनुल जिले के पर्णपल्ले गांव के सिपाही मुश्ताक अहमद और महाराष्ट्र के सतारा जिले के मसकारवादी गांव के सिपाही (नर्सिंग सहायक) सूर्यवंशी एस वी की भी इस हिमस्खलन में मौत हो गई थी।
मौसम ठीक रहने पर ही पार्थिव शरीर लाए जाएंगे दिल्ली
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि खारदुंग ला का मौसम बिल्कुल खराब है और इन सैनिकों के पार्थिव शरीर लेह लाने की सभी कोशिशें की जा रही हैं। यदि मौसम ठीक रहा तो भी शव कल से पहले राष्ट्रीय राजधानी नहीं लाये जा सकते। यहां श्रद्धांजलि कार्यक्रम होने की संभावना है। अधिकारी ने कहा, 'इन पार्थिव शरीरों को बंगलुरु, चेन्नई, त्रिवेंद्रम, मदुरै, पुणे, हैदराबाद पहुंचाए जाने की योजना है।' कल हेलीकॉप्टरों से इन नौ सैनिकों के पार्थिव शरीर सियाचिन ग्लेशियर से सियाचिन बेस कैंप लाए गए थे।
9 फरवरी को बरामद हुए थे सैनिकों के शव
मद्रास रेजीमेंट के एक जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी और नौ अन्य सैनिक तीन फरवरी को हिमस्खलन में जिंदा दफन हो गए थे। वैसे तो लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ को बड़े चमत्कारिक ढंग से जिंदा निकाला गया था, लेकिन नौ अन्य के शव नौ फरवरी को बरामद हुए।
सूबेदार नागेश टीटी, जो 22 साल की सेवा में 12 साल दुर्गम क्षेत्रों में रहे
उनमें एक सूबेदार नागेश टीटी थे जो जिंदादिल और शारीरिक रूप से फिट जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी (जेसीओ) थे। वह अपनी 22 साल की सेवा में 12 साल दुर्गम क्षेत्रों में रहे। उन्होंने 'ऑपरेशन पराक्रम' में हिस्सा लिया था। नागेश ने जम्मू-कश्मीर के मेंढर में दो सालों तक ऑपरेशन रक्षक में भाग लिया था, जहां वह आतंकवाद निरोधक अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे। उन्होंने अपनी इच्छा से जम्मू-कश्मीर में दो सालों तक राष्ट्रीय राईफल्स के साथ काम किया। इन जेसीओ ने तीन सालों तक एनएसजी कमांडो के रूप में अपनी सेवा दी। बाद में वह 'ऑपरेशन रिन्हो' में शामिल होने के लिए वर्ष 2009 से 2012 तक के लिए पूर्वोत्तर गए थे जहां वह घातक प्लाटून के जेसीओ के रूप में उग्रवादियों के खिलाफ कई सफल अभियानों का हिस्सा रहे। उनके साथी उन्हें रैंबो के रूप में याद करते हैं जो अपने हथियार एवं जरूरी चीजों के अलावा दूसरों के हथियार एवं बोझ भी उठाते थे। वह बहुत ही साहसी थे और उन्होंने उत्कृष्ट ग्रेड से पैरा मोटर कोर्स भी किया था। उनके परिवार में पत्नी आशा और दो बेटे अमित टीएन (6) और प्रीतम टीन (4) के हैं।
ज्यादातर सैनिक दक्षिण भारत के थे
हिमस्खलन में मारे गए अन्य सैनिकों में तमिलनाडु के वल्लूर जिले के पराई गांव के हवलदार एलूमलाई एम, तमिलनाडु के ही थेनी जिले के थोझू गांव के लांस हवलदार एस कुमार, केरल के कोल्लाम जिले के मोनरोथुरुथ गांव के लांस नायक सुधीश और कर्नाटक के मैसूर जिले के एचडी कोटे गांव के सिपाही महेश पीएन शामिल हैं।
तमिलनाडु के मदुरै जिले के चोक्काथेवन पट्टी गांव के सिपाही गणेशन, तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले के गुडिसताना पल्ली गांव के सिपाही रामा मूर्ति, आंध्रप्रदेश के कुरनुल जिले के पर्णपल्ले गांव के सिपाही मुश्ताक अहमद और महाराष्ट्र के सतारा जिले के मसकारवादी गांव के सिपाही (नर्सिंग सहायक) सूर्यवंशी एस वी की भी इस हिमस्खलन में मौत हो गई थी।
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