केन्द्र सरकार ने कालेधन के मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है। 60 लोगों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। ये वो लोग हैं जिनके नाम पर विदेशी बैंकों में काला धन जमा है। कालेधन के मुद्दे पर सरकार की ओर से बात रखते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि फॉरेनर है या एनआरआई है उन पर कानून अलग है और जो भी भारतीय हैं और उनके खाते विदेश में हैं उनपर कार्रवाई होगी। एक अखबार में छपी कालेधन वालों की सूची पर वित्तमंत्री का जवाब यह था कि कार्रवाई के लिए सिर्फ नाम नहीं चाहिए होते, सबूत भी चाहिए होते हैं। जिन लोगों के खिलाफ सबूत हैं उन पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
वहीं, कालेधन के मुद्दे पर गठित एसआईटी ने आज एक बैठक बुलाई है जिसमें तमाम नए घटनाक्रम पर चर्चा होने के आसार हैं।
सूत्रों के मुताबिक इन साठ लोगों के अकाउंट में क़रीब 15 सौ करोड़ से अधिक का काला धन जमा है। इन साठ लोगों में अधिकतर बड़े उद्योगपति हैं।
सूत्रों के मुताबिक कर चोरी के मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच में इन साठ लोगों के ख़िलाफ़ सबूत मिलने के बाद ये क़ानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।
डबल टैक्सेसन समझौते के मुताबिक कोर्ट की कार्रवाई शुरू होने के बाद ही इन खाताधारकों के नाम जाहिर किए जा सकते हैं।
इस बीच एक और बड़ी ख़बर इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से आई है। इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने एचएसबीसी बैंक से लीक हुई जानकारी के मुताबिक़ विदेशी ब्रांचों में भारतीयों के जमा काला धन की नई लिस्ट जारी कर दी है। ये लिस्ट साल 2006 से 2007 के बीच की है।
इस लिस्ट में 1195 लोगों के नाम हैं। ये नई लिस्ट कुछ दिन पहले फ्रांस सरकार द्वारा मुहैया कराई गई लिस्ट से लगभग दोगुनी है।
लिस्ट 200 से अधिक देशों में जमा भारतीयों के काला धन के बारे में है और बताया जा रहा है कि इसमें 25 हज़ार 420 करोड़ के काले धन का खुलासा है। ये पूरी जानकारी इंडियन एक्सप्रेस और कुछ विदेशी अखबारों ने मिलकर जुटाई है।
सरकारी सूत्रों का मानना है कि
- अब तक ज़्यादातर खाते खाली हो चुके होंगे।
- लेकिन फिर भी सरकार क़ानून के तहत काम करेगी।
- सूत्रों के मुताबिक 250 लोगों ने स्विस बैंक में खाते की बात मानी है
- इनमें से अब तक 60 मामलों में कार्रवाई शुरू की गई है
- सरकारी सूत्रों का ये भी कहना है कि लिस्ट में जायज़ और ग़ैरक़ानूनी दोनों तरह के खाते हैं।
ग्लोबल फ़ाइनांशियल इंटेग्रिटी (जीएफ़ई) की रिपोर्ट के अनुसार -
- 2012 में भारत का 6 लाख करोड़ रुपये काला धन विदेशी बैंकों में जमा हुआ
- 2003 से 2012 के बीच भारत का 28 लाख करोड़ रुपये काला धन जमा हुआ
- काले धन के मामले में चीन नंबर वन, रूस नंबर दो
विदेशों में जमा काले धन के मामले में भारत में लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं। अब अमेरिका से आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशों में जमा हो रहे काले धन के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। 2012 में ही भारत का क़रीब 6 लाख करोड़ रुपये का काला धन विदेशों में जमा हुआ है।
ग्लोबल फ़ाइनांशियल इंटेग्रिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2003 से 2012 के बीच भारत का कुल 28 लाख करोड़ रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा हुआ।
विदेशों में काला धन जमा होने के मामले में चीन पहले और रूस दूसरे नंबर पर है। वहीं 2003 से 2012 के बीच दस सालों में जिन देशों से सबसे अधिक काल धन विदेशी बैंकों में जमा हुआ। उसमें भारत चौथे नंबर पर है। इस सूची में चीन पहले, रूस दूसरे और मेक्सिको तीसरे नंबर पर है।
नई लिस्ट में क्या है ख़ास?
- दुनियाभर के एक लाख एचएसबीसी खाताधारकों की लिस्ट
- इन एक लाख लोगों के जेनेवा ब्रांच के अकाउंट डिटेल
- 2006-07 के अंत में इन अकाउंट की बैलेंस शीट
- एक लाख की लिस्ट में 203 देशों के लोग
- एक लाख खातों में 63 खरब से अधिक रुपये
- लिस्ट में 1,195 भारतीयों के नाम
- भारतीयों के खाते में 25,420 करोड़ रुपये
किसको मिली ये लिस्ट?
- पेरिस के अख़बार 'ल मोंद' को मिली लिस्ट
- अख़बार को फ्रेंच सरकार के सूत्रों से मिली लिस्ट
- 'ल मोंद' का वाशिंगटन के खोजी पत्रकारों के ग्रुप से क़रार
- 45 देशों के पत्रकारों के साथ जानकारी जमा करने का क़रार
- भारतीय अख़बार इंडियन एक्सप्रेस भी क़रार में शामिल
- इंडियन एक्सप्रेस ने एग्ज़ीक्यूटिव एडिटर रितू सरीन की अगुवाई में की पड़ताल
कितनी पेचीदा है लिस्ट?
सवाल : क्या इस लिस्ट के सभी खाते में काला धन है?
जवाब: लिस्ट में कुछ खाते जायज़ भी हो सकते हैं, जिसके बारे में सरकार को पहले से जानकारी हो और टैक्स दिया गया हो।
सवाल : क्या इस लिस्ट में उन 628 लोगों के भी नाम भी हैं जो फ़्रेंच सरकार ने 2011 में भारत सरकार को दिए थे?
जवाब : हां, लिस्ट में उन खाताधारकों के भी नाम हैं जो फ़्रेंच सरकार ने सौंपे थे।
सवाल : अब तक इन खाताधारकों से कितना टैक्स वसूला गया?
जवाब : सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने तक इन खातों में जमा 3,150 करोड़ रुपये पर टैक्स लगाया गया।
सवाल : किस आधार पर इन खाताधारकों के नाम जाहिर किए गए?
जवाब : फ़्रेंच अख़बार ल मौंद, वॉशिंगटन के खोजी पत्रकारों के ग्रुप और 45 देशों के पत्रकारों के बीच क़रार के तहत नाम जाहिर किए गए।
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