भड़काऊ और घृणित भाषण (हेट स्पीच) का मामला गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. BJP नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर की है. इस याचिका में कथित घृणित और भड़काऊ भाषण पर विधि आयोग की रिपोर्ट को तुरंत लागू करने का निर्देश जारी करने का कोर्ट से अनुरोध किया गया है. उपाध्याय ने हेट स्पीच पर विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट को लागू करने की मांग की है. दरअसल, साल 2017 में विधि आयोग ने घृणित एवं भड़काऊ भाषण को परिभाषित किया था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर, भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 153 सी और 505 ए को जोड़ने का सुझाव दिया था.
इससे पहले, राष्ट्रीय राजधानी में कुछ जगहों पर हुई हिंसा को रोकने में नाकाम रहने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. इस दौरान, कोर्ट में बीजेपी नेताओं के भाषणों को दिखाया गया था. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भाजपा नेता कपिल मिश्रा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने पर गुरुवार शाम तक निर्णय लेने को कहा था. इसके बाद, दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर का पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया.
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हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर के ट्रांसफर को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है. राव का ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट कर दिया गया है. इस पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि क्या न्याय करने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा? उन्होंने कहा, '26 फरवरी 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर एवं जस्टिस तलवंत सिंह की दो जज की बेंच ने दंगा भड़काने में कुछ बीजेपी नेताओं की भूमिका को पहचानकर उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए एवं पुलिस को कानून के अंतर्गत तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया था.
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ट्रांसफर के मुद्दे पर घिरी बीजेपी सरकार ने गुरुवार को सफाई दी है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में 12 फरवरी को ही उनके तबादले की सिफारिश कर दी गई थी. किसी भी जज के ट्रांसफर पर उनकी भी सहमति ली जाती है और इस प्रक्रिया का भी पालन किया गया है. इस मुद्दे का का राजनीतिकरण के करके कांग्रेस ने एक बार फिर न्यायपालिका के प्रति अपनी दुर्भावना को दिखाया है.
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