
तृणमूल कॉंग्रेस के दो वरिष्ठ नेता ममता बनर्जी और मुकुल रॉय के संबंध अब सामान्य नहीं रहे। दोनों नेताओं के मतभेद अब जनता के सामने उजागर हो गए हैं।
कोलकत्ता के काली घाट स्थिति ममता बनर्जी के आवास पर शनिवार को हुई बैठक में भले ही मुकुल रॉय भी शामिल हुए, लेकिन इस बैठक में शामिल सभी नेताओं के सामने स्थिति स्पष्ट थी कि दीदी और मुकुल दा के रिस्ते सामान्य नहीं रहे।
इस बैठक की खास बात यह रही कि ममता ने पहले सभी नेताओं को बोलने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन जब कोई बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ तो उन्होंने खुद डेढ़ घंटे अपने स्टाइल में भाषण दिया।
ममता ने बीजेपी पर आरोपा लगाया कि वह मुकुल रॉय को सीबीआई की गिरफ्त में लेकर उनकी पार्टी तृणमूल को तोड़ना चाहती हैं। दरअसल ममता ने दो कारणों से ऐसा बयान दिया है। पहले उन्हें यह अंदाजा था कि सीबीआई मुकुल रॉय को पूछताछ के बाद गिरफ्तार करेगी और मुकुल रॉय सीबीआई दफ्तर जाते ही दीदी के स्टाइल में पीएम मोदी और अमित शाह पर हमला बोलेंगे, लेकिन मुकुल रॉय ना तो गिरफ्तार हुए ना ही उन्होंने ऐसा कोई बयान दिया।
इससे तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी को शक हो गया कि मुकुल रॉय और बीजेपी के नेताओं के बीच कोई डील हुई है, इसलिए शनिवार को ममता ने इस बात को सर्वजनिक करते हुए मुकुल रॉय और बीजेपी दोनों को बैकफुट पर लाने की कोशिश की है।
शनिवार की बैठक में ममता ने बार-बार अपने एक अन्य सांसद शुभेंदु अधिकारी का नाम लिया और कहा कि सीबीआई उन्हें भी गिरफ्तार करने की कोशिश करेगी।
ममता के इस बयान से भी इस बात का इशारा मिलता है की उन्हें एहसास है कि मुकुल रॉय के बाद सीबीआई उन्हें परेशन कर सकती हैं।
ममता बनर्जी की परेशानी इस बात को भी लेकर है कि मुकुल रॉय से पूछताछ के दौरान अधिकांश सवाल मुख्यमंत्री से जुड़े हुए थे और कई जवाब ऐसे रहे जिससे आने वाले दिनों में ममता भी जांच के दायरे में आ सकती हैं।
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