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This Article is From Nov 22, 2021

पीएम मोदी की घोषणा के बावजूद भड़काऊ बयानों से माहौल खराब कर रहे हैं बीजेपी के नेता : मायावती

मायावती ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की सभी मांगों के समाधान पर जोर देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के कथित भड़काऊ बयानों पर रोक लगाने की मांग की है.

पीएम मोदी की घोषणा के बावजूद भड़काऊ बयानों से माहौल खराब कर रहे हैं बीजेपी के नेता : मायावती
मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट करे बीजेपी नेताओं पर साधा निशाना
लखनऊ:

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की सभी मांगों के समाधान पर जोर देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के कथित भड़काऊ बयानों पर रोक लगाने की मांग की है. बसपा प्रमुख ने सोमवार सुबह ट्वीट किया, ''प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लगभग एक वर्ष से आन्दोलनरत किसानों की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग स्वीकार किए जाने के साथ-साथ उनकी कुछ अन्य जायज मांगों का भी सामयिक समाधान जरूरी है ताकि वे संतुष्ट होकर अपने-अपने घरों को लौटकर अपने कार्यों में फिर से पूरी तरह जुट सकें.''

मायावती ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘साथ ही, कृषि कानूनों की वापसी की केन्द्र सरकार की खास घोषणा के प्रति किसानों में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है कि भाजपा के नेताओं की बयानबाजी पर लगाम लगे जो प्रधानमंत्री की घोषणा के बावजूद अपने भड़काऊ बयानों आदि से लोगों में संदेह पैदा करके माहौल को खराब कर रहे हैं।'' 

उन्नाव से भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा था, ‘‘विधेयक तो बनते-बिगड़ते रहते हैं, फिर वापस आ जाएंगे, दोबारा बन जाएंगे, कोई देर नहीं लगती.'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं मोदी जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने बड़ा दिल दिखाया और विधेयक के बजाय राष्‍ट्र को चुना. जिनके इरादे गलत थे, जिन्होंने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद' और ‘खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए, उन्हें करारा जवाब मिला है.''

ऐसे बयानों को आधार बनाकर रविवार को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी सत्तारूढ़ भाजपा की मंशा पर सवाल उठाए थे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि भाजपा का दिल साफ नहीं है और वह उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद इस संबंध में फिर से विधेयक लाएगी. कांग्रेस ने भी भाजपा नेताओं के बयान का हवाला देकर कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान को छलावा करार दिया.

कृषि कानून वापस लेने का फैसला पहले ही कर लेना चाहिए था: मायाव​ती

कांग्रेस महासचिव और उत्‍तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा ने रविवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘भाजपा नेताओं के ''चुनाव बाद कृषि कानूनों को वापस लाने'' वाले बयान किसानों की आशंकाओं को सही ठहराते हैं. भाजपा ने भूमि अधिग्रहण कानून के मामले में भी यही छल किया था.'' उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को चुनावों के समय कानून वापस लेने का छलावा नहीं, एमएसपी व फसल का हक लूटने वाले कानूनों का समूल नाश चाहिए.''

इस बीच, केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी समेत विभिन्न मांगों को लेकर एक वर्ष से अधिक समय से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर लखनऊ के बंगला बाजार स्थित इको गार्डन में किसानों की महापंचायत सोमवार को शुरू हो गई जिसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत समेत कई प्रमुख किसान नेता शामिल हो रहे हैं.

लखनऊ में आज हो रही है किसान महापंचायत, लिए जाएंगे अहम निर्णय

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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