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This Article is From Aug 01, 2018

बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, अन्य राज्यों में भी एनआरसी का अनुसरण किया जाए

कहा- उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य कई राज्यों में असम की ही भांति अवैध बांग्लादेशी शरणार्थी रह रहे हैं

बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, अन्य राज्यों में भी एनआरसी का अनुसरण किया जाए
प्रतीकात्मक फोटो.
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मनसे ने मुंबई में अवैध बांग्लादेशियों का सर्वेक्षण कराने की मांग की
पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के भतीजे का परिवार सूची में नहीं
बंगाल विधानसभा में एनआरसी के अंतिम मसौदे के विरोध में प्रस्ताव पारित
नई दिल्ली: असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के सोमवार को जारी अंतिम मसौदे पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच भाजपा नेता नरेश अग्रवाल ने मंगलवार को कहा कि देश के सभी राज्यों में इसका अनुसरण किया जाना चाहिए क्योंकि अवैध बांग्लादेशी शरणार्थी देश के कई हिस्सों में रह रहे हैं. 

अग्रवाल ने कहा, ‘‘एनआरसी राष्ट्रीय सुक्षा से जुड़ा मुद्दा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य ऐसे राज्य हैं जहां असम की ही भांति अवैध बांग्लादेशी शरणार्थी रह रहे हैं.’’ वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने एनआरसी की तर्ज पर मुंबई में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों का सर्वेक्षण कराने की मांग की है. पार्टी के नेता बाला नंदगांवकर ने मुंबई में एक बयान जारी कर कहा, ‘‘अब यह सिद्ध हो चुका है कि 40 लाख से अधिक लोग (असम में) अवैध घुसपैठिए हैं. (मनसे प्रमुख) राज ठाकरे वर्षों से इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं.    

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इस बीच, पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिजन ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति के भतीजे के परिवार के सदस्यों के नाम इस सूची में नहीं हैं. उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, जिस कारण उनका परिवार इसके लिए आवेदन नहीं दे पाया था. जियाउद्दीन अहमद, उनकी पत्नी अकीमा बेगम, बेटे हबीब अली अहमद और वाजिद अली अहमद कामरूप जिले में कालामोनी ब्रह्मपुर में रहते हैं. लेकिन जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण वे अपने नाम एनआरसी में शामिल करने के लिए आवेदन नहीं कर पाए.    

बंगाल विधानसभा में एनआरसी के अंतिम मसौदे के विरोध में मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया गया और सर्वसम्मति से इसकी निंदा करते हुए प्रस्ताव को स्वीकार किया गया. मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘‘हमें राजनीति से ऊपर उठकर साथ मिलकर प्रदर्शन करना है. एनआरसी कुछ नहीं बस वोट बैंक की राजनीति के लिए एक खेल मात्र है. 

VIDEO : 40 लाख लोगों की नागरिकता खतरे में

इस बीच मानवाधिकार संगठन ह्यूमन रासइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि भारतीय अधिकरियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दस्तावेजीकरण और एनआरसी में नागरिकों के नामों के अपडेट की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से तथा निष्पक्ष हो. 
(इनपुट भाषा से)

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