कर्नाटक: CM कुमारस्‍वामी अभी तक नहीं हुए सरकारी बंगले में शिफ्ट, अब येदियुरप्‍पा ने भी बंगला लेने से किया इनकार, ये है वजह

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा ने सरकारी बंगला लेने से साफ इनकार कर दिया है. वजह ये है कि वो बंगला जिसे वह अपने लिए भाग्यशाली मानते हैं सरकार ने उन्हें नहीं दिया.

कर्नाटक: CM कुमारस्‍वामी अभी तक नहीं हुए सरकारी बंगले में शिफ्ट, अब येदियुरप्‍पा ने भी बंगला लेने से किया इनकार, ये है वजह

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा ने सरकारी बंगला लेने से साफ इनकार कर दिया है. वजह ये है कि वो बंगला जिसे वह अपने लिए भाग्यशाली मानते हैं सरकार ने उन्हें नहीं दिया. ये वही बंगला नम्बर 2 है जहां येद्दियुरप्पा 1999 से 2013 तक रहे. इस बंगले में आते ही वो पहले नेता प्रतिपक्ष बने फिर उप-मुख्यमंत्री और बाद में मुख्यमंत्री यानी ये बंगला येद्दियुरप्पा अपने लिए भाग्यशाली मानते है, लेकिन इस बार जेडीएस कांग्रेस सरकार ने उन्हें रेस कोर्स पर बंगला नम्बर 2 की जगह 4 दे दिया. इससे येद्दियुरप्पा नाराज़ हो गए.

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नेता प्रतिपक्ष बी एस येद्दयुरप्पा ने कहा कि हमने कांग्रेस से काफी पहले 2 नम्बर बंगला मांगा था, लेकिन नहीं दिया. मुझे दूसरा नहीं चाहिए. में अपने डॉलर्स कॉलोनी वाले घर में ही रहूंगा. ये बंगला भी उन्हें किसी को अलॉट कर देना चाहिए. ये मामला सिर्फ येद्दियुरप्पा तक ही सीमित नहीं है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारास्वामी भी ग्रह की दशा और दिशा देखकर ही घर से क़दम बाहर निकालते है और इसी वजह से कुमारस्वामी अब तक सरकारी निवास में नहीं रहते है.

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2006 में जब कुमारस्वामी पहली बार मुख्यमंत्री बने तब भी वो सरकारी निवास में तब तक नहीं रहे जब तक उन्होंने ज्योतिषियों के मुताबिक, इसका वास्तु ठीक नहीं करवा लिया. बाहर की दीवार उंची करवाई घर में गाय पाली तब जाकर यहां वो कुछ वक्त के लिए ठहरे. कुमारस्वामी उनके पिता देवेगौड़ा और भाई रेवनन्ना अंधविश्वास को इस हद तक मानते है कि घर से बाहर निकलने का समय भी उनके ज्योतिषी तय करते है. कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण और मंत्रिमंडल विस्तार का वक़्त भी ज्योतिषियों ने ही तय किया था.

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कुमारास्वामी के बड़े भाई और मंत्री एच डी रेवनन्ना ने कहा कि हम लोग गांव वाले हैं और वहां से आते हैं और जाते हैं. इन सब बातों से हमारा कुछ लेना देना नहीं है. अंधविश्वास का आलम ये है की विधान सौधा और विकास सौधा में कौन सा कमरा शुभ है और कौन सा अशुभ ये भी तय है और अशुभ कमरे ज़्यादातर अधिकारियों को मिलते हैं क्योंकि मंत्री वहां जाने से कतराते हैं. 

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