
नई दिल्ली:
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर पर तैयारी कर रही हैं। मंगलवार को इस सिलसिले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संसदीय दल की बैठक हुई, लेकिन सरकार से पार पाने की जगह मुख्य विपक्षी दल बीजेपी आपस में ही उलझी हुई दिख रही है।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी में नरेंद्र मोदी को प्रचार समिति की कमान सौंपने का पार्टी के अंदर ही विरोध होने लगा है। पार्टी के कुछ बड़े नेता चाहते हैं कि मोदी की जगह यह जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपी जाए। बताया जा रहा है कि ये वही नेता हैं, जिन्होंने मोदी को संसदीय बोर्ड में लाने का भी विरोध किया था। बताया जा रहा है कि इसी विरोध की वजह से मोदी को प्रचार समिति की कमान सौंपने का फैसला गोवा में होने वाली कार्यकारिणी तक टाल दिया गया है।
वहीं, नरेंद्र मोदी को बीजेपी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के सवाल को टालने का प्रयास करते हुए पार्टी ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में इस पद के लिए कोई चेहरा पेश किया जाएगा भी या नहीं, इसका निर्णय मुख्य विपक्षी दल का संसदीय बोर्ड करेगा।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस बारे में संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर में कहा, हम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किसी चेहरे को पेश करेंगे या नहीं करेंगे और अगर पेश करेंगे, तो वह कौन होगा, इन सब बातों का फैसला बीजेपी का संसदीय बोर्ड करेगा। मोदी के साथ ही प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में गिनी जाने वाली सुषमा ने कहा कि बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के संबंध में दो चरणों में निर्णय होगा।
उन्होंने कहा कि इस बारे में संसदीय बोर्ड का निर्णय हो जाने पर पार्टी एनडीए के अपने सहयोगी दलों से चर्चा करेगी। यह पूछे जाने पर कि इस पद के लिए बार बार मोदी का नाम लिया जाना क्या इस बात का संकेत है कि इसके लिए अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नाम पर विचार किए जाने की संभावना नहीं है, सुषमा ने कहा, हमने उनके नाम की संभावना से इनकार नहीं किया है। किसी ने नहीं कहा है कि उनके नाम पर चर्चा नहीं की जाएगी। इस धारणा को उन्होंने गलत बताया कि बीजेपी एनडीए से इतर अन्य दलों को अपने साथ ला पाने में सफल नहीं होगी। उन्होंने विश्वास जताया कि पार्टी कुछ और राजनीतिक पार्टियों को एनडीए में लाने में सफल होगी।
(इनपुट भाषा से भी)
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी में नरेंद्र मोदी को प्रचार समिति की कमान सौंपने का पार्टी के अंदर ही विरोध होने लगा है। पार्टी के कुछ बड़े नेता चाहते हैं कि मोदी की जगह यह जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपी जाए। बताया जा रहा है कि ये वही नेता हैं, जिन्होंने मोदी को संसदीय बोर्ड में लाने का भी विरोध किया था। बताया जा रहा है कि इसी विरोध की वजह से मोदी को प्रचार समिति की कमान सौंपने का फैसला गोवा में होने वाली कार्यकारिणी तक टाल दिया गया है।
वहीं, नरेंद्र मोदी को बीजेपी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के सवाल को टालने का प्रयास करते हुए पार्टी ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में इस पद के लिए कोई चेहरा पेश किया जाएगा भी या नहीं, इसका निर्णय मुख्य विपक्षी दल का संसदीय बोर्ड करेगा।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस बारे में संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर में कहा, हम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किसी चेहरे को पेश करेंगे या नहीं करेंगे और अगर पेश करेंगे, तो वह कौन होगा, इन सब बातों का फैसला बीजेपी का संसदीय बोर्ड करेगा। मोदी के साथ ही प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में गिनी जाने वाली सुषमा ने कहा कि बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के संबंध में दो चरणों में निर्णय होगा।
उन्होंने कहा कि इस बारे में संसदीय बोर्ड का निर्णय हो जाने पर पार्टी एनडीए के अपने सहयोगी दलों से चर्चा करेगी। यह पूछे जाने पर कि इस पद के लिए बार बार मोदी का नाम लिया जाना क्या इस बात का संकेत है कि इसके लिए अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नाम पर विचार किए जाने की संभावना नहीं है, सुषमा ने कहा, हमने उनके नाम की संभावना से इनकार नहीं किया है। किसी ने नहीं कहा है कि उनके नाम पर चर्चा नहीं की जाएगी। इस धारणा को उन्होंने गलत बताया कि बीजेपी एनडीए से इतर अन्य दलों को अपने साथ ला पाने में सफल नहीं होगी। उन्होंने विश्वास जताया कि पार्टी कुछ और राजनीतिक पार्टियों को एनडीए में लाने में सफल होगी।
(इनपुट भाषा से भी)
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