नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक किए जाने के मौके पर ममता बनर्जी (फोटो : पीटीआई)
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलें सार्वजनिक किए जाने के बाद बीजेपी ने कहा कि रहस्यमय हालात में नेताजी के लापता होने के मुद्दे पर केंद्र भी गंभीर है और इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राजनीति नहीं करनी चाहिए।
बीजेपी ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जिन फाइलों को गोपनीय सूची से बाहर किया है, उनका संभवत: कोई अंतरराष्ट्रीय प्रभाव नहीं है।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एमजे अकबर ने कहा, इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितना कोई भी अन्य शख्स सक्रिय नहीं रहा। वह बोस परिवार से मिले और मामले की जटिलता का परीक्षण करने के लिए समिति का गठन किया। हमें विश्वास है कि इस मामले में जो कुछ भी करने की जरूरत है, वह राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए करेंगे।
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, हम राज्य सरकार से इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने का आग्रह करते हैं। जिन फाइलों को राज्य में गोपनीय सूची से बाहर किया गया है, उनका संभवत: कोई अंतरराष्ट्रीय प्रभाव नहीं है। लेकिन केंद्र के पास जो फाइलें है, उनका दूसरे देशों के साथ हमारे संबंधों पर प्रभाव पड़ सकता है।
पश्चिम बंगाल सरकार के कदम का स्वागत करते हुए कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार को एक विशिष्ट अवधि के बाद सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किए जाने को लेकर एक नीति बनानी चाहिए।
'नेताजी की फाइलें सार्वजनिक करे केंद्र'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा, हमारा भी यह मानना है कि केंद्र सरकार को नेताजी की फाइलें सार्वजनिक करनी चाहिए। केंद्र को एक ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे एक विशिष्ट अवधि के बाद गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया जा सके। यह 20 साल, 30 साल या 40 साल हो सकता है।
ऑल इंडिया फॉरवार्ड ब्लॉक (एआईएफबी) ने फाइलों को गोपनीय सूची से हटाने का स्वागत किया और केंद्र से इसी नक्शे कदम पर चलते हुए उसके पास मौजूद 135 फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की।
एआईएफबी के महासचिव देबब्रत बिस्वास ने कहा, केंद्र सरकार की इस दलील में कोई दम नहीं है कि नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने पर कुछ देशों के साथ देश के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
बीजेपी ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जिन फाइलों को गोपनीय सूची से बाहर किया है, उनका संभवत: कोई अंतरराष्ट्रीय प्रभाव नहीं है।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एमजे अकबर ने कहा, इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितना कोई भी अन्य शख्स सक्रिय नहीं रहा। वह बोस परिवार से मिले और मामले की जटिलता का परीक्षण करने के लिए समिति का गठन किया। हमें विश्वास है कि इस मामले में जो कुछ भी करने की जरूरत है, वह राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए करेंगे।
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, हम राज्य सरकार से इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने का आग्रह करते हैं। जिन फाइलों को राज्य में गोपनीय सूची से बाहर किया गया है, उनका संभवत: कोई अंतरराष्ट्रीय प्रभाव नहीं है। लेकिन केंद्र के पास जो फाइलें है, उनका दूसरे देशों के साथ हमारे संबंधों पर प्रभाव पड़ सकता है।
पश्चिम बंगाल सरकार के कदम का स्वागत करते हुए कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार को एक विशिष्ट अवधि के बाद सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किए जाने को लेकर एक नीति बनानी चाहिए।
'नेताजी की फाइलें सार्वजनिक करे केंद्र'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा, हमारा भी यह मानना है कि केंद्र सरकार को नेताजी की फाइलें सार्वजनिक करनी चाहिए। केंद्र को एक ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे एक विशिष्ट अवधि के बाद गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया जा सके। यह 20 साल, 30 साल या 40 साल हो सकता है।
ऑल इंडिया फॉरवार्ड ब्लॉक (एआईएफबी) ने फाइलों को गोपनीय सूची से हटाने का स्वागत किया और केंद्र से इसी नक्शे कदम पर चलते हुए उसके पास मौजूद 135 फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की।
एआईएफबी के महासचिव देबब्रत बिस्वास ने कहा, केंद्र सरकार की इस दलील में कोई दम नहीं है कि नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने पर कुछ देशों के साथ देश के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
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