बिहार चुनाव: 7 बार से लगातार जीत रही बीजेपी, गया शहर सीट पर नीतीश के मंत्री प्रेम कुमार की बोलती है तूती!

1990 के विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार ने यहां से पहली बार जीत दर्ज की थी, उसके बाद विपक्ष ने उनके खिलाफ हर बार नए-नए उम्मीदवार उतारे लेकिन कोई उन्हें हरा न सका.

बिहार चुनाव: 7 बार से लगातार जीत रही बीजेपी, गया शहर सीट पर नीतीश के मंत्री प्रेम कुमार की बोलती है तूती!

प्रेम कुमार फिलहाल राज्य की एनडीए और नीतीश सरकार में कृषि मंत्री हैं.

खास बातें

  • गया शहर सीट से 30 साल से लगातार जीत रहे हैं प्रेम कुमार
  • बीजेपी के कद्दावर नेता हैं, प्रेम कुमार, नीतीश सरकार में कृषि मंत्री
  • 2015 से 2017 तक रह चुके हैं नेता विपक्ष, पिछड़ी जाति से रखते हैं ताल्लुक
नई दिल्ली:

छोटी-छोटी गलियों का शहर गया, मोक्ष नगरी और विष्णु नगरी के तौर पर विश्व प्रसिद्ध है. यहां पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. बौद्ध धर्म के लिए भी इस अंतरराष्ट्रीय शहर का अहम महत्व है. सियासी अखाड़े में भी गया शहर बीजेपी के लिए किसी बड़े तीर्थस्थल से कम नहीं है क्योंकि पिछले 30 वर्षों से गया शहर विधान सभा सीट पर बीजेपी के डॉ. प्रेम कुमार जीत कर भगवा झंडा लहराते रहे हैं.

1990 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार ने यहां से पहली बार जीत दर्ज की थी, उसके बाद विपक्ष ने उनके खिलाफ हर बार नए-नए उम्मीदवार उतारे लेकिन कोई उन्हें हरा न सका. प्रेम कुमार फिलहाल राज्य की एनडीए और नीतीश सरकार में कृषि मंत्री हैं.

व्यवसायी वर्ग और मुस्लिमों की अच्छी आबादी
गया शहर विधान सभा इलाके में तीन लाख से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें व्यवसायी वर्ग का करीब 50 हजार वोट है. मुस्लिम समुदाय का भी वोट शेयर करीब-करीब 50 हजार ही है. इनके अलावा कायस्थ और चंद्रवंशी समाज के करीब 25-25 हजार वोट हैं. प्रेम कुमार चंद्रवंशी समाज से ही आते हैं. इनके अलावा इलाके में भूमिहारों का 25 हजार, राजपूतों का 16 हजार, यादवों का 15 हजार और अतिपिछड़ा समुदाय का करीब 30,000 वोट बैंक है. कोयरी-कुर्मी वोटरों की भी आबादी करीब 25 हजार है. यादव और मुस्लिम को छोड़कर अधिकांश जातियां बीजेपी और एनडीए की कैडर वोटर हैं.

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पहले चरण में चुनाव
गया शहर सीट पर पहले चरण में 28 अक्टूबर को वोटिंग होगी. 10 नवंबर को वोटों की गिनती होगी. साल 2015 के चुनावों में प्रेम कुमार के खिलाफ नीतीश-लालू के गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के प्रिय रंजन उम्मीदवार थे. उन्हें 34.16 फीसदी वोट मिले जबकि बीजेपी को 51.82 फीसदी वोट मिले थे. प्रेम कुमार विपक्षी उम्मीदवार से करीब 22 हजार वोटों के अंतर से जीते थे.

विपक्ष ने हर बार बदला चेहरा, हर बार मिली हार
गया शहर सीट से जहां बीजेपी की तरफ से प्रेम कुमार स्थाई और जिताऊ उम्मीदवार रहे, वहीं विपक्ष ने हर बार नए चेहरे को उनके खिलाफ उतारा. 2015 में विपक्षी गठबंधन की तरफ से प्रिय रंजन तो 2010 में सीपीआई के जलालुद्दीन अंसारी मैदान में थे. 30 साल से लगातार यानी 1990 से प्रेम कुमार यहां से जीतते रहे हैं. सौम्य स्वभाव के प्रेम कुमार की जनता पर विशेष पकड़ है. वो इतिहास में पीएचडी डिग्रीधारी हैं. 2015 से 2017 के बीच वो विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं.

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1951 में हुआ था पहला चुनाव, कांग्रेस का था गढ़
गया शहर सीट पर 1951 में पहली बार विधान सभा चुनाव हुए थे. तब कांग्रेस के केशव प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर कांग्रेसियों का दबदबा रहा है.  1962 में निर्दलीय तो 1967 और 1969 में जनसंघ की उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे. बाद में 1977 में जनता पार्टी की जीत हुई. इसके बाद 1984 तक फिर से कांग्रेस के कैंडिडेट जीतते रहे लेकिन 1990 से लगातार प्रेम कुमार जीत रहे हैं.

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